12-November-2018 कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन संबोधित करते हुए

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Highlights of the Press briefing

Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP, Spokesperson, AICC addressed the media today at AICC Hdqrs.

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों­­ को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री अनंत कुमार जी की आकास्मिक मृत्यु पर उनके परिवार को श्रद्धांजलि और सांत्वना प्रेषित करना चाहेंगे।

चुनावी साल में मोदी सरकार RBI के ख़ज़ाने को लूटने पर उतारू!

पूँजीपति मित्रों से प्यार, इसलिए कर रहे हैं, चुनावी मौसम में RBI की तिजोरी पर प्रहार !

चोर दरवाज़े से नोटेबंदी का दूसरा चरण लागू करने पर तुली हुई है मोदी सरकार !

चुनावी साल में ये जाहिर है कि मोदी सरकार आरबीआई के खजाने को लूटने पर उतारु है। मैं इसको चोर दरवाजे से नोटबंदी फेज-2 कहूंगा। नोटबंदी का फेज-2, दूसरा चरण लागू करने पर मोदी सरकार तुली हुई है और उसके कुछ नए रोचक पहलू मैं आपको बताना चाहता हूं। हम सब जानते हैं कि नोटबंदी द्वारा लगभग डेढ़ प्रतिशत जीडीपी हमारी कम हुई। आज विश्वभर में एक व्यक्ति के अलावा सब मानते हैं कि नोटबंदी शायद इतिहास की सबसे बड़ी भूल, सबसे बड़ा गलत काम था और आप सभी जानते हैं कि वह एक व्यक्ति कौन हैं, जिसके अलावा सब मानते हैं कि नोटबंदी गलत फैसला था। अब उसी प्रकार से लुके छुपे, चोरी छुपे काम करने की प्रक्रिया में एक और श्रृंखला, एक और कड़ी जुड़ती है, और जिसकी शुरुआत सरकार ने की है कि किसी तरह से आरबीआई सरकार को साढ़े तीन प्रतिशत स्पेशल डिविडेंड पे कर दे 3.6 लाख करोड़ का। 3.6 लाख करोड़ का स्पेशल डिविडेंड कैसे मिल जाएगा? मैं ये बता दूं आपको कि 3.6 लाख करोड़ रुपए 40 प्रतिशत होता है जो भी आरबीआई ने रिजर्व एक्यूमलेट किए हैं, दशकों में, यानि कि आरबीआई की पूरी रिजर्व पूंजी का 40 प्रतिशत एक ही बार में प्रहार करके हड़प लिया जाए, मात्र ये उद्देश्य है सरकार की इस प्रक्रिया का।

अब उस उद्देश्य को कैसे घुमा फिरा कर, लुके-छिपे प्राप्त किया जाए, इसके पीछे पूरी कहानी है। इतने वर्षों से चुप रहे, अब अपने कार्यकाल के पाँचवे वर्ष में अचानक इनको याद आया कि ये जो राशि होती है जिसे कंटिजेंसी रिजर्व कहते हैं, इसका प्रतिशत कम कैसे किया जाए। तो कृपया पहला प्रश्न ये है कि इतने वर्षों में पहले आपको याद नहीं आया और आपको अब याद आया, क्या इसलिए कि आप अपने पूंजीपति मित्रों को चुनाव के लिए, अनैतिक, अवैध, सोप्स (sops) के लिए, एक झूठी लोकप्रियता पाने के लिए कर रहे हैं, रुपए का ढूंढगान कर रहे हैं कि कहीं से मिल जाए। ये सीधी तरह से भ्रष्टाचार का एक दूसरा पहलू है, धोखाधड़ी है, हमारी संवैधानिक अस्मिता, संवैधानिक ढांचे के विरुद्ध है और आज तक इस प्रकार का किसी सरकार ने 70 वर्ष में प्रयास नहीं किया। इसको कैसे किया जाए, तो पहले जब आपके जर्नलिस्ट ने, आपके अखबारों में ये रिपोर्ट आ रही थी कि इस प्रकार का उद्देश्य है, तो चुप्पी साध ली माननीय प्रधानमंत्री ने, सरकार ने, माननीय वित्त मंत्री ने। ये बात आपके अखबारों में पिछले एक महीने से चल रही है और कोई जवाब नहीं।

नंबर दो, इस षडयंत्र को कार्याविंत करने के लिए बाध्य किया गया वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट को कि वो आपको झूठे वक्तव्य, बेमानी वक्तव्य, गुमराह करने वाले वक्तव्य दें। उनमें से एक वक्तव्य है 9 नवंबर का, सेक्रेटरी डीईए (Secretary Department of Economic Affairs, Ministry of Finance) का, ‘Only proposal under discussion is to fix appropriate economic capital framework of RBI’ ये शब्द हैं, Fix appropriate economic capital framework, ये शब्द बड़े रोचक हैं। इसका मतलब क्या है, ये हमारा दूसरा प्रश्न है, सरकार से आपके जरिए। इसका मतलब क्या है, इसका मतलब वही है, जो आप जर्नलिस्ट सार्वजनिक रुप से एक महीने से लिख रहे हैं कि मुझे साढ़े तीन लाख करोड़ किसी तरह से दे दो और अब उसको लेने का एक और तरीका अपनाया गया है। एक लुका-छुपा दूसरा तरीका जो पहले ये नहीं कर पाए, अब वो करना चाहते हैं। जिसको आपने कहा कि कंटिजेंसी रिजर्व है, अगर आप उसके प्रतिशत को कम करेंगे और घटाएंगे तो रुपया कौन लेगा, सरकार लेगी क्या? अब आपको ये मालूम है कि ये 12 से 8 से होते-होते 6 प्रतिशत पर है। रिजर्व बैंक का कंटिजेंसी रिजर्व आज 6 प्रतिशत है। आज 6 प्रतिशत रिजर्व को आप और कम करना चाहते हैं और वो और कम करने की प्रक्रिया आप पांचवे साल में करना चाहते हैं। इतने वक्त तक आपको ध्यान नहीं आया, चुनाव से पहले ध्यान आया।

इसका एक और कारण है, एक कारण तो है चुनावी सॉप्स (sops) देना अनैतिक अवैध। इसका दूसरा कारण है, अपने पूंजीपति मित्रों से प्यार, इसलिए जब चुनावी मौसम है तो आरबीआई की तिजोरी पर प्रहार। पूंजीपति मित्रों से प्यार और आरबीआई की तिजोरी पर प्रहार

लेकिन तीसरा उद्देश्य है कि नोटबंदी के कारण जो आरबीआई सरकार को हर साल रुपया देता है, जिसको आप अमाउंट कह सकते हैं, डिविडेंट कह सकते हैं या रुपया कह सकते हैं, वो पिछले वर्ष 65,876 करोड़ था। नोटबंदी के कारण, नोटबंदी के भार से, नोटबंदी के तुरंत बाद वाले साल में यानि 2017-18 में ये राशि 65,000 करोड़ से घटकर 30,000 करोड़ हो गई। आप समझिए, आपने नोटबंदी की, आपने राजनैतिक जिद्द दिखाई, आप दुनिया में एक ही व्यक्ति हैं जो मानते हैं कि नोटबंदी का निर्णय सही है। आपने अपनी 56 इंच छाती का भाषण दिया, उससे 65,000 करोड़ का वार्षिक प्रोफिट आरबीआई का, वो गिरकर 30,000 करोड़ हो गया, जो वार्षिक राशि, पूंजी आरबीआई आपको देता है। जब ये आधी हो गई तो कोई तरीका निकालना है आपको कि कहीं से इसकी भरपाई करो, कहीं से इसको पूरा करो तो पूरा करके ये येन-केन प्रकारेण, उसके तौर-तरीके निकाले गए, ये बड़े अच्छे-अच्छे शब्द निकाले गए और आपसे नहीं कहलवाया, कहलवाया गया ब्यूरोक्रेट से। ‘Only proposal under discussion is to fix appropriate economic capital framework of RBI’ कृपया बताएं माननीय प्रधानमंत्री economic capital framework क्या होता है, कृपया ये बताएं कि ये 12 प्रतिशत से आज 6 प्रतिशत है। 6 प्रतिशत एक प्रकार से विश्वभर में न्यूनतम माना जाता है। 6 प्रतिशत वो है, जिसको आप कह सकते हैं कि ये आपातकाल की निधी है, कभी एमरजेंसी हो, तो जो पूंजी बची है, रिजर्व में, आरबीआई की, उसको आप 6 प्रतिशत से और कम करना चाहते हैं। अब इसके बारे में माननीय सेक्रेट्री साहब डिसक्शन करना चाहते हैं, आरबीआई से। चुनाव के कुछ महीने पहले, लगभग 3-4 महीने में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लगने से पहले। इसके कारण, उद्देश्य सिर्फ केवल ये तीन हो सकते हैं और ये आपको इस सरकार की नीति, सोच, चाल, चरित्र और चेहरा सब स्पष्ट रुप से दिखाती है।

प्रधानमंत्री द्वारा एक जनसभा में नोटबंदी को लेकर दिए एक विवादस्पद बयान पर पूछे एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि कभी-कभी भद्दी टिप्पणियों का जवाब देने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन मैं थोड़े व्यापकता से और विस्तार से इसलिए जवाब दे रहा हूं, क्योंकि इतने बड़े उच्च स्तर पर, संवैधानिक उच्च स्तर पर आसीन प्रधानमंत्री ने वक्तव्य दिया है, नहीं तो ये इतना भद्दा वक्तव्य है कि बिल्कुल जवाब देने लायक नहीं है और भद्दा क्यों है? ये भद्दा इसलिए है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, चोरी खुद करो, उसके बाद सीधा सीनाजोरी करो, ये उसका उदाहरण है। मैं आपके सामने स्पष्ट कहना चाहता हूं कि झूठ के पांव नहीं होते और आज आप झूठ के शहंशाह से एक बहुत बड़ा झूठ सुन रहे हैं। नोटबंदी की बात की, नोटबंदी के द्वारा आपने अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया। इतिहास में इतना बड़ा बलंडर भारत में किसी ने कभी नहीं किया, नोटबंदी के विषय में पूरे विश्व में एक आपके सिवाए कोई इसका समर्थन नहीं करता। आप खुद नोटबंदी की दूसरी बरसी मनाने से डर रहे हैं। आपकी सरकार का कोई मंत्री उसका समर्थन नहीं कर पा रहा है। उससे ना आपको कालाधन मिला, ना नकली नोट पकड़े गए, ना नक्सलवाद खत्म हुआ, ना आतंकवाद खत्म हुआ, उससे 120 लोग मारे गए, अर्थव्यव्यस्था को न्यूनतम डेढ़ प्रतिशत नुकसान हुआ, 3 लाख करोड़ एक न्यूनत फिगर मानते हैं इस नुकसान का और प्रधानमंत्री हमको बता रहे हैं और नोटबंदी को किससे लिंक कर रहे हैं। मैं बताना चाहता हूं, माननीय प्रधानमंत्री को कि कांग्रेस पार्टी, पार्टी नहीं, कांग्रेस अभियान है, जिसके विरुद्ध झूठे केसिस के हम बहुत आदी है, ब्रिटिश समय से, ब्रिटेन ने इस देश में झूठे केसिस लगा-लगा कर ही कांग्रेस पर शासन करने का प्रयत्न किया था। तो अगर हम इस गीदड़ भभकी से डरने लगे तो अपने इतिहास को भूला देंगे। आपका कोई इतिहास नहीं था उस वक्त और जिस प्रकार से हम तब ब्रिटिश सरकार से नहीं डरे, आज हम ब्रिटिश सरकार की प्रतिशोध वाली राजनीति करने वाली बीजेपी से भी नहीं डरते हैं और ये लिंक कर रहे हैं नोटबंदी, जो इतना बड़ा डिजास्टर था इस देश के लिए, ‘मैन मेड डिसास्टर्स, मोदी मेड डिसास्टर्स’। नेचुरल डिसास्टर्स पर तो आपका कंट्रोल नहीं होता, उसकी दुहाई दे रहे हैं और हमारे केसिस की बात कर रहे हैं। सच्चाई ये है कि नोटबंदी के काले कारनामों और घोटालों को छुपाने के लिए ये सब आपको वक्तव्य मिल रहे हैं। वो क्या काले कारनामे थे, आप जानते हैं। उसका जवाब आजतक प्रधानमंत्री नहीं देते हैं, छत्तीसगढ़ में जवाबदेही मांगते हैं, नेशनल हेराल्ड केस की, माननीय प्रधानमंत्री जी आज 2 साल हो गए, आपने जवाब दिया? कॉपरेटिव बैंकस में क्या हुआ था, नोटबंदी के बाद? आपने ये जवाब दिया कि अचानक कुछ सुरक्षित अकाउंट में एक दिन पहले, तीन घंटे पहले, आधे घंटे पहले लाखों-करोड़ रुपए कहाँ से प्रकट हो गए और क्यों वो अकाउंट सिर्फ कुछ ही लोगों से संबंधित थे, जो इस देश में कुछ ज्यादा हक और अधिकार क्षेत्र रखते हैं? इन सबका जवाब नहीं देंगे, राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित कुछ केसिस का नाम लेकर अगर आप समझते हैं कि गीदड़ भभकियों से हमें डराएंगे, तो आप हमारे इतिहास को नहीं जानते, हमारी पहचान नहीं है आपको।

तो इस प्रकार से घोड़े को पीछे रखना और कैरेज को आगे रखना मैंने सुना नहीं कहीं भी। इसमें आपको बहुत सारी और चीजें मिलेंगी, जिसका खुलासा हम करेंगे, लेकिन आज प्राथमिक रुप से भी देखने में स्पष्ट है कि ये जवाब नहीं है, ये गोल-मटोल घूम-फिर के, घुमाने की, बरगलाने की वही प्रक्रिया है, जो पिछले वर्ष से आप देख रहे हैं और इसका सीधा कारण यही है कि उत्तर है नहीं तो उत्तर कहाँ से देंगे आप।

On the reaction of the Congress Party on CVC giving reply in a sealed cover and the Government has apologised to the Court today, Dr. Singhvi said उस पर आज टिप्पणी करना उपयुक्त इसलिए नहीं होगा क्योंकि करीब-करीब 7 मिनट कोर्ट में चला मामला पूरा और 4 दिन बाद 16 तारीख को लगाया है। तो ये इसलिए हुआ कि सरकार ने माफी मांगी है कोर्ट से कि हमने आपको सील लिफाफा देने में विलंब किया और इसलिए, नहीं तो इस पर आज ही निर्णय होता, कुछ ना कुछ निर्णय, आदेश होता, लेकिन आज निर्णय और आदेश करना संभव नहीं था क्योंकि इसके लिए जो सील लिफाफा है उसको खोलना, देखना, पढ़ना, अवलोकन करना आवश्यक है, इसलिए 4 दिन बाद मामला आ रहा है, उसके बाद टिप्पणी करना उपयुक्त होगा।

एक अन्य प्रश्न पर कि रेल मंत्रालय 14 नवंबर से श्री रामायण एक्सप्रेस की शुरुआत करने जा रहा है, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि हमें कोई आपत्ति भी नहीं है, हमें बल्कि हर्ष है कि आम आदमी को ट्रेन में सुविधाएं मिलें। लेकिन हमें दुख एक बात का है कि क्या आपने उतना ही ध्यान इस ट्रेन के नामकरण के अलावा इस ट्रेन के फैसिलिटी में दिया या नहीं, क्या ये ट्रेन पुरानी है इसका नाम नया है? इतने लंबे के सफर के लिए कुछ सुविधाएं ज्यादा बढ़ी हैं? दूसरा, क्या अगर इस नामकरण से आप थोड़ा रोजगार दें दें, तो हम बहुत ज्यादा हर्षित होंगे, इस नामकरण से हमारी जीडीपी में थोड़ी वृद्धि करवा देंगे, तो हम बहुत ज्यादा हर्षित होंगे, भगवान राम भी इससे बहुत ज्यादा हर्षित होते। वो नामकरण से हर्षित नहीं होते, वो रोजगार से होते, उस ट्रेन पर साफ सुथरी सुविधाओं से होते हैं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि रेल मंत्री से अगर आप पूछे कि नाम के अलावा क्या बदला उस ट्रेन मे तो कुछ नहीं बता पाएंगे वो।

एक प्रसिद्ध इतिहासकार द्वारा शहरों के नाम बदलने की तर्ज पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अपना नाम शाह’ (पारसी शब्द) भी बदलने के सुझाव पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये कोई नहीं कह रहा है, सिवाए बीजेपी के। जिन लोगों ने कहा है वो व्यंग्य कर रहे हैं। जब आप गलत काम करते हैं तो मेरा हक होता है उस पर व्यंग्य करने का, तो ये व्यंग्य है और बिल्कुल सही है। आज आपने भारत की अस्मिता को समझते हैं, ना इसकी पहचान को समझते हैं, ना इसके व्यक्तित्व को समझते हैं, ना इसकी परिभाषा को समझते हैं। आज मैं 500 साल का इतिहास बदलूंगा, कल आप उसके पिछले 500 साल का इतिहास को बदल कर मेरे इतिहास को बदल दीजिएगा। उसके बाद जो तीसरा आदमी आएगा वो उसके पिछले हजार वर्ष का इतिहास बदलेगा और उसके बाद चौथा आदमी आएगा वो प्राचीन भारत के ढाई हजार वर्ष के पुराने इतिहास को बदलेगा और उस सबको थोपेगा आज के इतिहास पर। अगर इससे आप रोजगार दे सकें, जीडीपी वृद्धि दे सकें, खुशहाली दें सकें, दुराव कम कर सकें, विभाजन कम कर सकें, देश को आगे ले जा सकें, तो हम आपको इस सबकी भी अनुमति देते हैं। 

मनोज तिवारी के दिए विवादस्पद बयान पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि इस प्रकार के भद्दे कमेंट मैं समझता हूं और बोलने चाहिएं, और इन्हें प्रसारित कीजिए आप। अगर मैं उनके स्तर पर गिर गया तो मेरे और उनमें फर्क क्या है? स्पष्ट है कि अगर उनके पास कोई भी मुद्दे की बात होती, तो आपसे करते। भद्दी बात वो करता है, जिसके पास मुद्दे की बात ही नहीं हो। चाहे वे प्रधानमंत्री हो, चाहे वो नीचे का कार्यकर्ता हो, तो इससे तो हमने बीजेपी की पूरी एक लाईन देख ली, पूरी पहचान देख ली।

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

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