24-October-2018 कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन संबोधित करते हुए

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Highlights of the Press Briefing

आज अवैध, गैर कानूनी, न्याय विरुद्ध तरीके से मोदी सरकार, सत्तारुढ़ पार्टी के अध्यक्ष शाह की सरकार ने देश की संस्थाओं को आईसीयू में धकेल दिया है। ये राफेल घोटाले की पोल खुलने से थर्राए हुए, आतंकित हुए, घबराए हुए, व्याकुल हुए मोदी सरकार और भाजपा के वरिष्ट नेताओं ने अपना विशिष्ट गुजरात मॉडल केन्द्र में और सीबीआई पर लागू कर दिया है और दो सेकंड नहीं सोचा, सीबीआई की मान-प्रतिष्ठा को धूल में मिलाने में, तो मित्रों राफेल घोटाले से घबराई मोदी-शाह की जोड़ी ने सीबीआई कहीं की नहीं छोड़ी।

हम ये  सीधा आरोप लगाते हैं इस सरकार पर, सत्तारुढ़ पार्टी पर कि राफेल ओ फोबिया से बचने के लिए और अपने सब गलत कारनामों को भारत की सर्वोच्च इंवेस्टिगेटिव एजेंसी से करवाने के लिए आज असंवैधानिक रुप से सीबीआई डायरेक्टर को वस्तुतः हटाया गया है यद्दपि इसको कहते हैं Forced to go on leaveवस्तुतः सस्पैंड किया गया है, जो गैर कानूनी और असंवैधानिक है।

दूसरा बिंदू, राफेल का मैंने जिक्र किया, मैं वापस आऊँगा उस पर, लेकिन एक शब्द लिखकर कि मैं उनको लीव (छुट्टी) पर जाने को कह रहा हूँ, इस सरकार ने उच्चतम न्यायालय को नकार दिया है। सीबीआई एक्ट, जिसको स्पेशल पुलिस पावर एक्ट कहते हैं उसको नकार दिया है और मैं उस प्रावधान का उल्लेख करुँगा जिसके अंतर्गत उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सीबीआई की स्वायत्तता के लिए, स्वतंत्रता के लिए, निष्पक्षता के लिए पुरजोर मजबूती के लिए एक स्वतंत्र समिती, जो सामान्य नहीं होती, एक तरफ प्रधानमंत्री, एक तरफ उच्च न्यायधीश, एक तरफ नेता प्रतिपक्ष इत्यादि उसको सिलेक्ट करेगें और एक सुनिश्चित, फिक्सड टेन्योर होगा दो वर्ष का। उसको नकार दिया, एक सेकंड में नकार दिया, इसके लिए अनुच्छेद सेक्शन 4अ और 4बी बनाया गया, एक्ट में, लेकिन अब नकारें कैसे? एक्ट को तो नहीं नकार सकते, तो कहते हैं हमने नकारा नहीं है हमने तो लीव पर भेज दिया, ये दूसरा बिंदु है। ये सो कॉल्ड हवाला जजमेंट लिखा है, ये सीबीआई एक्ट में लिखा है जिसकी प्रतिलिपि मेरे मित्र आपको देंगे और मैं उसे पढ़ूँगा आपके सामने अभी।

तीसरा बिंदू, जो पुलिस है, जो प्रोसिक्यूटर है, एक घोर, गम्भीर अपराध में, जिसको हमने नहीं, आपने नहींस सरकारी दस्तावेज, एफआईआर में लिखा है एक्सटॉर्शन का आरोप है। एक्सटॉर्शन बहुत बड़ा अपराध होता है, उसमें जो प्रोसिक्यूटर है, उसको तो पैरालाइज कर दिया, हटा दिया और समर्थन किया अभियुक्त का। अभियुक्त के समर्थन में खड़ी है सरकार और प्रोसिक्यूटर को हटा दिया है ये आपको सरकार का एक नया गुजरात मॉडल दिख रहा है।

नंबर चार, माननीय प्रधानमंत्री, उनके मैं कुछ ट्वीट्स और टिप्पणियाँ सीबीआई के विषय में, कार्यपालिका के विषय में पढ़ने वाला हूँ। तब की, जब वो 2014 से पहले मुख्य मंत्री थे। वो आज सीधा सीबीआई अफसरों को बुलाते हैं, एक ऑन गोइंग फौजदारी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं।

एक छोटी सी बात, जिसमें एफिडेविट सैटल हुआ था, यूपीए सरकार में और एफिडेविट सैटलमेंट के लिए बुलाया गया तो बार-बार इस्तीफा माँग लिया और यहाँ पर सीधा हस्तक्षेप है एक्सटोर्शन के मामले में, पीएमओ से प्रधानमंत्री से, हम जानते हैं, रिमोट कंट्रोल कौन है इन मामलों में। सत्तारुढ़ सरकार के अध्यक्ष, सत्तारुढ पार्टी के अध्यक्ष हों या प्रधानमंत्री हों।

नंबर पाँच, एक गलतफहमी मैं आपके दिमाग से हटा दूँ, सीबीसी का पावर कब से हो गया आपको हटाने या आपको नियुक्त करने का। ये नया पावर कहाँ से मिल गया? कौन से कानून में

ये बातें भूली नहीं जा सकती। सीवीसी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, कोई कानूनी हस्तक्षेप नहीं है, कोई लोकस नहीं है, किसी व्यक्ति को सीबीआई डायरेक्टर नियुक्त करने का और शब्दों का इस्तेमाल करके डी फैक्टो हटाने का। अब मैं आपको 2-3 चीजें पढ़ दूँ, क्योंकि हम भी थोड़ा बहुत ज्ञान देने का अवसर इस्तेमाल कर लें। पहला तो है, विदित नारायण का जजमेंट 1998 1 एससीसी 226, मेरे मित्र ये सब कापियाँ देंगे आपको बाद में जिनको जिज्ञासा है, उसके तीन बिंदु पढ़ दूँ मैं। सबक्लोज 4, कब? 1998 में, उसके बाद बड़े प्रावधान बदले, इसके बाद लोकपाल आया, लेकिन उसका जमीनी सच आज देख रहे हैं आप।

नंबर चार, The Central Government shall take all measures necessary to ensure that the CBI functions effectively and efficiently and is viewed as a non-partisan agency. So, extortion charge, you interfere investigation and make it a non-partisan. Now more important, Number 7 and Number 8, और मैं आपसे अनुरोध करुँगा कि आप कॉपी लेकर जरा पढ़ लें। The Director CBI shall have a minimum tenure of 2 years, regardless of the date of superannuation. This would ensure that an officer suitable in all respects is not ignored merely because he has less than two years. यानि आप सेना निवृत होने के बावजूद दो साल चलेंगे।

 

Third – Clause 8, very-very-very important और मैं चाहूँगा इस ज्ञान का प्रत्युत्तर दूसरा वाला ज्ञान। The transfer of an incumbent Director CBI, in an extraordinary situation including the need for him to take up a more important assignment should have the approval of the Selection Committee ! कौन है सिलेक्शन कमेटी? क्या वो मिली थी कल रात को? क्या नेता प्रतिपक्ष सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं? क्या उनको बुलाया गया था? क्या भारत के मुख्य न्यायधीश को बुलाया गया था इस समिति में? ये तो हुआ एक ज्ञान का स्तर। दूसरा ज्ञान भी मैं दे दूँ आपको। मैं तो संज्ञान कहूँगा, ज्ञान तो आपको और जगहों से मिलता है।

 

Delhi Special Police Establishment Act of 1946 – इसको सीबीआई एक्ट कहते हैं इसके प्रावधानों को पार्लियामेंट में बदला गया 2014 में और जनवरी 2014 में जो बदले हुए प्रावधान हैं उनको आज लागू किया है माननीय मोदी सरकार ने। क्या प्रावधान बदले, चार कैपिटलें हम लाए थे अमेंड करके। एक्ट ऑफ पार्लियामेंट है, कोई फर्क नहीं पड़ता उच्चतम न्यायालय है, नहीं है, तो एक्ट बन गया है और इसकी भी कॉपी लीजिएगा। The Central Government shall appoint, गवर्नमेंट को कोई डिसक्रीशन नहीं है, shall appoint means नियुक्त करना ही पड़ेगा। The Director on the recommendation of the Committee consisting of one- Prime Minister, two- Leader of Opposition and three- Chief Justice of India or Judge nominated by – shall appoint अगर मैं अपॉइंट करता हूँ आपको इस समिति के द्वारा और दो दिन बात सीवीसी हटा देती है आपको, यह कहती है घर पर जाकर बैठो तो क्या ये कानून का इंटरप्रिटेशन हमको सिखाया जा रहा है?

नंबर 2- 4 बी, उसको भी उसी वक्त अमेंड किया गया। Terms and condition of service of Director – the Director shall not withstanding anything to the contrary contained in the rules relating to his conditions of service continue to hold office for a period of not less than 2 years from the date on which he assumed office. आपको पता है 62 साल तक कोई रिटायर हो जाता है, 65 तक भी हो जाता है, तो 2 साल अगर नहीं हो रहे हैं पूरे तो उस सेवानिवृत्त आयु से भी आप आगे जा सकते हैं।  तीसरा, तीसरा सबसे महत्वपूर्ण है, ये सब लॉ है, पार्लियामेंटरी लॉ है, जिसको धूल में मिला दिया है इस सरकार ने। The Director shall not be transferred except with the previous consent of the Committee referred to above.  तो मैं आपको ट्रांस्फर नहीं कर सकता, नियुक्त नहीं कर सकता हटा नहीं सकता, लेकिन मैं ये कह सकता हूँ, घर बैठ जाओ जाकर और मैं इनको बना रहा हूँ अंतरिम डायरेक्टर, आप घर बैठ जाओ जाकर।

ये कानून का ज्ञान आपको सही लगता है । क्या कानून को मूर्ख बनाने की प्रक्रिया इतनी आसान है ये सब क्यों किया गया, मित्रों? ये इसलिए किया गया, मूल बात रही राफेल ओ मेनिया। आपने कई काम करवाए और हमारे मित्रों ने यहाँ से आपको कई उदाहरण दिए पहले के। जिसमें कि ये कई सारे ऐसे काम हुए जो नहीं होने चाहिए थे, जिससे स्वायत्तता खत्म हो, कैप्टिव पपेट बनें, दखलअदाजी हो तफ्तीश में। आपको उदाहरण दिए गए इसी पोडियम से कि ज्वाइंट डायरेक्टर, बैंक सिक्योरिटीज एंड फ्रॉड से राजीव सिंह को किस प्रकार से स्थानांतरित किया गया। आपको उदाहरण दिए गए कि मेहुल चौकसी और नीरव मोदी के लिए, जो लोग कर रहे थे इंवेस्टीगेशन, तफ्तीश नीना सिंह, अनीश प्रसाद, गोकुल कृष्ण राव उनके ट्रांस्फर कैसे हुए। आपको उदाहरण दिए गए कई ऐसे और। एक व्यक्ति जो पाया गया था लंदन में इनके साथ बातचीत करते हुए, माल्या साहब के साथ, इत्यादि- इत्यादि, तो आज स्टेक्स बहुत हैं इस सरकार के घपलों को कवर करने के लिए और प्रश्न बड़ा सरल है कि या तो आप इसलिए कर रहे हैं कि नंबर 2 बहुत चीजें बता सकता है आपको बारे में, आप घबराए हुए हैं इस चीज से या आप इसलिए कर रहे हैं कि आप बहुत ज्यादा घबराए हुए हैं राफेल से, वास्तविकता ये है कि आप इन दोनों कारणों से कर रहे हैं, दोनों कारण हैं. आपके चिट्ठे भी न खुलें और आपके गलत काम भी होते रहें।

अब मैं याद दिलाना चाहूँगा आपको अंत में, इतने बड़े प्रवक्ता, इतने वड़े वक्ता, इतने मुखर, प्रखर, ऑरेटर क्या कहते थे 2014 के पहले अप्रेल तक, अप्रेल तक, मई में तो प्रधानमंत्री बन गए थे, तो एक तो है 17 अप्रेल, 2014 ये हमारे मित्र आपको सब देंगे, 17 अप्रेल, 2014, Madam says BJP does not respect Institution, who was responsible for emergency? There is CBI misuse, CBI- IB tension and a lot more under UPA. ये माननीय प्रधानमंत्री ने 17 अप्रेल, 2014 को लिखा था। दूसरा, ये है 8 फरवरी, 2014 मेरे पास सैंकड़ों हैं, मैं तो सिर्फ आपको 2014 का उदाहरण दे रहा हूँ। Be it  CBI, various commissions, IT department, the misuse of every institution has been the hallmark of UPA. आज यही शब्द प्रधानमंत्री को कहीं न कहीं हौंट तो कर रहे होंगे और नहीं कर रहे हैं तो करने चाहिए।

इसलिए सत्ता के अहंकार में झूठ छुपाने के लिए सुनियोजित और षड़यंत्रकारी तरीके से मोदी जी ने सीबीआई पर हमला बोला है और उसका आप प्रत्यक्ष प्रमाण देख रहे हैं आज।

आप भी आरोपित हो, मैं भी आरोपित हूं, दोनों को हटा दिया। कहाँ है आरोपित, कौन है आरोपित? एक व्यक्ति आरोपित थे, जब आपको नियुक्त किया, तबसे। आपके विरुद्ध केस चल रहा है गुजरात से। जब आप नियुक्त हुए तो वो आरोप सामने आए, फिर भी आपने उसे नियुक्त किया। उसके बाद आपराधिक दण्ड संहिता CrPC की धारा 164 के अंतर्गत एक स्टेटमेंट रिकोर्ड हुआ। ये सब तथ्य आपको जानने चाहिएं, 164 में। उस स्टेटमेंट के अंतर्गत तफ्तीश हुई, उसके बाद आपको गिरफ्तार करने के लिए आपके जूनियर ऑफिसर को गिरफ्तार किया गया, आप कोर्ट गए हैं और उसका दूसरा equivalent क्या है कि जब मैं पुलिस हूं और आप अभियुक्त हो तो अभियुक्त आरोप लगाता है पुलिस के ऊपर। वो बराबर है।

सरकार की तरफ से सीबीआई के दोनों शीर्ष अधिकारी सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डॉयरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिए जाने के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये जो आपको पूरी तरह से विकृत ज्ञान मिल रहा है, इसका भांडा फोड़ करना भी उतना ही अति आवश्यक है, जो अभी मैंने अंग्रेजी में इनके प्रश्न के संदर्भ में किया है। एक तो मुद्दा है अधिकार क्षेत्र का, पॉवर का। आपको जो करना है आप समिति के पास ले जाईए, समिति उनको डिसमिस भी कर सकती है, स्थानांतरण भी कर सकती है, लंबित भी कर सकती है, घर भी बिठा सकती है। आप डरते हैं ले जाने के लिए, आप डरते हैं अनुच्छेद को फोलो करने के लिए, आप डरते हैं कानून और संविधान को फोलो करने के लिए, क्योंकि आपको मालूम है कि सत्य क्या है। लेकिन दूसरा मुद्दा, अभी बराबरी का मामला कहाँ है? ये आपको ज्ञान दिया जा रहा है कि मैंने आरोप आपके विरुद्ध किया, आपने प्रत्यारोप मेरे ऊपर किया, बराबर हो गए दोनों, तो दोनों को हमने हटाकर घर बैठा दिया। इन दोनों में एक व्यक्ति वह हैं, जिनके बारे में 2014 के पहले से आरोप हैं, एक गुजरात घोटाले के विषय में। उसके बाद जब वो नियुक्त हो रहे होते हैं तो उनके विरुद्ध लिखित आरोप होते हैं, पब्लिक डोमेन में, आप लोगों ने छापे हैं, उसके बावजूद आप उनको नियुक्त करते हो। उसके बाद एक तफ्तीश होती है, उस तफ्तीश में 164 Cr. P. C. का मजिस्ट्रेट के सामने स्टेटमेंट रिकोर्ड होता है। उसके अंतर्गत एक बहुत सीनियर ऑफिसर डीवाईएसपी लेवल के व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है। उस डीवाईएसपी के वक्तव्य के आधार पर और पुराने 164 के आधार पर, शायद आपके ऊपर भी फौजदारी का मामला हो सकता था। आप कोर्ट भागते हो। इसकी तुलनात्मक रुप से बराबरी आप कर रहे हो कि जब मैं पुलिस ऑफिसर आपकी तहकीकात करता हूं तो आप आरोपित अभियुक्त की हैसियत से मेरे ऊपर आरोप लगाते हो और ये बराबर हो गया। An accused making an allegation against the prosecutor much afterward and one more point. एक और बात मैं अंग्रेजी में बोलना भूल गया, जब आलोक वर्मा इसी समिति द्वारा अपॉइंट हुए थे, तो कौन से चार्ज सामने रखे गए थे?  कोई नहीं, और आज आप बराबरी कर रहे हो। आप कह रहे हो कि चार्ज मेरा आपके ऊपर और आपके विरुद्ध बराबर है। तो ये तो अभी अपॉइंट हुए हैं, एक डेढ़ साल हुआ उनको। उस वक्त ये कहाँ थे चार्जिस। तो हर चोर कोतवाल पर चार्ज लगा देगा, उससे कोतवाल और चोर बराबर हो जाएगा?

एक अन्य प्रश्न पर कि सेलेक्शन कमेटी में जो आपके नेता हैं, क्या वो कोर्ट जाएंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि हम क्या करेंगे, वो हमारा अधिकार क्षेत्र है। हम इसको नैतिक, राजनैतिक और कानूनी जितनी भी चीजें होती हैं, वो हमारे अधिकार क्षेत्र में हैं और हम उसको करें, कैसे करें, कब करें, किस रुप में करें, वो हमारे अधिकार क्षेत्र में है। लेकिन निश्चित रुप से नैतिक और राजनैतिक और राजनैतिक में प्रेस आ जाती है पूरी तरह से। आपके सामने, देश के सामने रखना हमारा उत्तरदायित्व है, ये हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं, ये हमारा उत्तरदायित्व है और वो हम रख रहे हैं आपके सामने। क्योंकि इससे बड़ी न्यायपालिका कोई नहीं है, जो कि आपके जरिए इस देश की सवा सौ करोड़ लोगों की अदालत होती है।

एक अन्य प्रश्न पर कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी, क्या आपको आशंका कि कुछ हो सकता है, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि हमें आशंका नहीं है, हमें पूरा विश्वास है, सौ प्रतिशत विश्वास है कि हर वो असंवैधानिक और गैर कानूनी चीज क्षण प्रतिक्षण हो रही है और होती रहेगी। क्योंकि आज सरकार इसके Escape mode में है, आज सरकार अपने बचाव में है, क्योंकि जैसा कहा जाता है कि एक गलती को सुधारने के लिए दो गलतियाँ हो रही है, दो गलतियाँ सुधारने के लिए चार गलतियाँ हो रही हैं और उस बौखलाहट, घबराहट उस राफेलोमीनिया, उस अपनी काली करतूतों को छुपाने और बचाने के लिए आप इस प्रकार की सब प्रक्रियाएं देख रहे हैं और जितना आपको इस प्रकार का रिएक्शन आएगा, जितने इस प्रकार के ज्ञान आएंगे, उतनी ही दलदल में और ये सरकार फंसती रहेगी। लेकिन हाँ, आपके प्रश्न का उत्तर बड़ा सीधा है कि हमें बिल्कुल विश्वास नहीं है कि संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाएं विशेष रुप से सीबीआई एक्ट और उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पालन किया जाएगा, ना लेटर में ना स्पिरिट में।

एक अन्य प्रश्न पर कि ये सब जो हुआ है, क्या राफेल मामले में सीबीआई की तरफ से सरकार के ऊपर कोई कार्यवाही होने जा रही थी, डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये प्रीमियर इन्वेस्टिगेशन, सबसे वरिष्ठ इन्वेस्टिगेटिंग ऐजेंसी देश में एक ही है और निश्चित रुप से जो तथ्य आते हैं और आपको पता होना चाहिए कि तथ्य अपने सोर्स से भी आ सकते हैं, किसी याचिका की आवश्यकता नहीं होती। निश्चित रुप से आज पब्लिक डोमेन में इतने तथ्य आ गए हैं राफेल के बारे में कि कभी भी उसके आधार पर कोई भी प्रक्रिया हो सकती है, हो रही हैं कई प्रक्रियाएं और इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो स्वतंत्र, जो सक्षम, जो निष्पक्ष ऑफिसर हैं, जो कानून को मानते हैं, उनसे ये सरकार हमेशा भयभीत रहती है और रहेगी।

एक होता है नैतिकता, समझ, प्रोपराइटी, आपके अधिकार क्षेत्र में तो कोई भी प्रश्नचिन्ह नहीं लगा रहा है। मेरा अधिकार क्षेत्र है कि मैं आपको नियुक्त कर सकता हूं, लेकिन क्या आप उपयुक्त हैं उसके लिए। आपके विरुद्ध प्रीमियर इन्वेस्टिगेटिंग ऐजेंसी के भ्रष्टाचार के चार्जिस हैं। अब तो वो बात खैर पुरानी है, छोड़ दीजिए ना, अब तो आप नियुक्त हो गए। नियुक्त होने के बाद जब 164 Cr. P.C. का स्टेटमेंट आता है, तो सरकार जो इतनी उछल रही है अभी, पिछले 24 घंटे में, आपको स्थानांतरण भी नहीं किया पहले, इस ऑफिसर को। कौन सी सरकार सीबीआई में 164 Cr. P.C. भ्रष्टाचार के स्टेटमेंट के बाद उस व्यक्ति को रखेगी?

एक अन्य प्रश्न पर कि ये मामला पहले पब्लिक डोमेन में रखा जा चुका है, तो क्या सरकार पहले सोई हुई थी, पहले कार्यवाही क्यों नहीं की, डॉ. सिंघवी ने कहा कि आपका प्रश्न तो सही है, लेकिन इस प्रश्न का उत्तर मैं कैसे दे सकता हूं, ये आपको सरकार से पूछना चाहिए। मैं आपको सिर्फ इतना बता सकता हूं कि सरकार ने कुछ नहीं किया और ना कर सकती है, क्योंकि उनके पास कोई जवाब ही नहीं है। जो व्यक्ति आरोपित है, जो अभियुक्त है, उसको बचाने में अगर आप लगे हैं तो आप क्या करोगे? आप तो वही करोगे, सही किया सरकार ने। सरकार ने बिल्कुल सही किया है। आरोपित को बचाने के लिए आप प्रॉसिक्यूटर पर ही अटैक करोगे ना, और किस पर करोगे।

 

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

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