27-August-2018 कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन संबोधित करते हुए |

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसा आप जानते हैं, चुनाव आयोग को एक प्रश्नों की सूची काफी समय पहले आई थी, हमारे यहाँ और आज भी मीटिंग रखी गई थी, कांग्रेस की एक व्यापक समिति करीब-करीब 6-7 आठ लोगों की बैठक AICC में हुई थी और उस सूची के जो प्रश्न थे, उनके अंतर्गत क्या हमारा जवाब होगा, क्या स्टेंड होगा कांग्रेस पार्टी का वो निर्णय होगा। आज चिदम्बरम जी और मैं तो नहीं जा पाए थे, लेकिन हमारे सहयोगी माननीय श्री मुकुल वासनिक साहब गए थे और उनसे बातचीत करने के बाद और हमारे उत्तर और हमारे आधार, हमारे स्टेंड के अनुसार जो मुख्य बिंदु हैं, उनसे मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं।

पहली बात, हमने आदरपूर्वक चुनाव आयोग को कहा कि आपने इतनी बड़ी सूची 15-20 प्रश्नों की भेजी, पर जो सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है उसमें, ईवीएम वाला, वो नहीं था। हमने इसमें बहुत पुरजोर तरीके से हमारा अनुरोध रखा है, पक्ष रखा है कि ईवीएम में पहली बात तो आपको पता है, कांग्रेस का ही नहीं, लगभग 70 प्रतिशत राजनीतिक पार्टियाँ जो हैं, इस देश में, राष्ट्रीय या प्रादेशिक उनका मत है कि पूर्णत:, जल्द से जल्द चुनाव फिजिकल बैलेट, कागजी बैलेट से होना चाहिए। इस स्टेंड से हम बिल्कुल परे नहीं हट रहे हैं, डॉयल्यूट नहीं कर रहे हैं, मैं उसको दोहरा रहा हूं। अगर किसी कारण आप समय के कारण का आधार देकर या कारण देकर 2019 में ये नहीं कर सकते या आगामी प्रादेशिक चुनाव में नहीं कर सकते हैं, तो बाकी ये सब प्रस्ताव रखे गए हैं, उसको किसी प्रकार ज्यादा सुरक्षापूर्ण बनाने के लिए। तो सुरक्षा चक्र के विषय में ईवीएम में हमने कहा सबसे पहले कि न्यूनतम 30 प्रतिशत ईवीएम मशीनों को जिससे वीवीपीएटी (VVPAT) निकलता है, उसको सैंपल चैक, फिजिकल बैलेट या कागजी ट्रेल निकलता है, उसका तालमेल करना चाहिए, ईवीएम के रिकोर्ड से। अभी बहुत कम प्रतिशत मशीनों से किया जाता है। न्यूनतम 30 प्रतिशत  EVM should be checked at the sample check. दूसरा उसके साथ-साथ छोटी-छोटी बातें लगती हैं, लेकिन जो बहुत सर्वोपरी होती हैं, उनको देखना आवश्यक है।

आज हमारे देश में कम से कम दो कैटेगरी की ईवीएम हैं, एक पुरानी हैं, एक जो बाद में आई हैं, जिनको न्यू जनरेशन ईवीएम कहा जाता है। तो कम से कम देश को अवगत कराना चाहिए, पारदर्शिता होनी चाहिए, इसमें कोई लुका-छिप्पी की आवश्यकता नहीं है कि पुरानी और नई का मेक मॉडल क्या है, कपैसिटी क्या है, उसके स्पेसिफिकेशन, उसके तकनीकी आयाम क्या हैं? उनसे आपको और हमको, देश को अवगत कराना अनिवार्य है। ये देश के लोकतंत्र, गणतंत्र का सवाल है, इसलिए इसमें कुछ छुपाने की बात नहीं होनी चाहिए।

तीसरा, कौन सी ऐसी संस्थाएं हैं देश में, उसकी सूची बड़ी सार्वजनिक होती है, जानी-मानी होती है, हमारे साथ भी शेयर करनी चाहिए। जिसके अंतर्गत ये ईवीएम रिपेयर होती है। आपको भी मालूम है कैराना में, उत्तर प्रदेश में बाकी उपचुनाव में 12.8 प्रतिशत, लगभग 13 प्रतिशत मशीन मॉल फंक्शनिंग, खराब पाई गई। ये चुनाव आयोग का आंकड़ा है, मेरा आंकड़ा नहीं है। तो ये कहाँ रिपेयर होती हैं, कहाँ ठीक होती हैं, इससे हमें अवगत कराएं, देश को अवगत कराएँ। ये सब चीजें और भी कई चीजें हमारे सहयोगी ने वहाँ रखी हैं। हमारा सबसे विस्तृत लिखित, व्यापक आवेदन पत्र भी चुनाव आयोग को दिया गया है। (संल्गन है)

दूसरा एक या दो मुद्दे मैं समझता हूं अलग खड़े होते हैं, वो था कि क्या आज की स्थिति में जहाँ रुपए का एक नंगा नाच हो रहा है चुनाव में, वहाँ पर राजनीतिक दलों के चुनावी खर्चे के ऊपर कोई सिलिंग, लिमिट प्रतिबंध होना चाहिए कि नहीं? ये बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट कहा है कि निश्चित रुप से आप जानते हैं कि आज एक नियम होता है, इनके खर्चे पर, मेरे खर्च पर, इनके खर्चे पर, व्यक्तिगत, लेकिन एक राजनीतिक पार्टी की सामूहिक रुप से, पार्टी की हैसियत से वो क्या प्रतिबंध, सिलिंग, सबसे ऊपर की लिमिट होनी चाहिए, ये चुनाव आयोग को जल्द से जल्द स्पेसिफाई कर देनी चाहिए, अंकित कर देनी चाहिए। ये इसलिए आवश्यक है क्योंकि आज एक मजाक हो रहा है और हमने बड़ा स्पष्ट कहा है कि सबसे बडा मजाक एक प्रकार से सत्तारुढ पार्टी से आया है, आपके समक्ष दिखाया है बिहार में, आपके समक्ष दिखाया है, उत्तर प्रदेश में, कर्नाटक में कि ये तो सिर्फ एक्स लाख रुपए खर्च सकते हैं, बीजेपी के कैंडिडेट की हैसियत से, पर इनके ऊपर बीजेपी करोडों रुपए खर्च कर सकती है, इश्तिहार बोल दीजिए, पोस्टर बोल दीजिए, होर्डिंग बोल दीजिए, कुछ भी बोल दीजिए। उस अगणित खर्चे को गिना ही नहीं जाता है। ये विडंबना है, ये मजाक है, ये कानून का बड़ा स्पष्ट उल्लंघन है।

अब इन दो मुद्दों पर मैं तीसरी बात कहना चाहता हूं, आज चुनाव आयोग की मीटिंग में ईवीएम और खर्चे की लिमिट के मुद्दों पर बीजेपी अलग-थलग पड़ गई। बीजेपी के साथ उनके कुछ अलायंस जरुर थे, एनडीए जरुर थी, लेकिन 70 प्रतिशत से ज्यादा पार्टियों ने कांग्रेस के इन दोनों प्रस्तावों का भरपूर समर्थन किया है और वो पार्टी प्रादेशिक स्तर पर हमारी विरोधी भी हो सकती है, एनसीपी से लेकर, तृणमूल, सपा से लेकर बसपा, एआईडीएमके से लेकर और पार्टियाँ, इन दो मुद्दों पर एनडीए की कुछ पार्टियों ने चुप्पी साधी, खुला समर्थन पुरजोर तरीके से बीजेपी का नहीं किया इन मुद्दों पर। लेकिन 70 प्रतिशत पार्टियों ने विरोध किया है, लेकिन बीजेपी एक प्रकार से इस पूरी सूची में अकेली खड़ी पाई गई है। तो ये दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। बाकी 3-4 मुद्दे ऐसे हैं, जिनसे आप अवगत हैं।

तीसरा मुद्दा भी बहुत महत्वपूर्ण है, मैं खुद उसमें पेश हुआ हूं, एक वकील के तौर पर। इलेक्टोरल रोल का प्रश्न पूछा चुनाव आयोग ने, किस प्रकार से उनको विश्वसनीय बनाया जाए। लेकिन मजाक क्या है, सच्चाई क्या है? अभी हाल में हमने दो याचिकाएं की, जिसमें हमने दस्तावेजों के आधार पर ये प्रमाणित किया कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में, मध्यप्रदेश में 60 लाख डुप्लिकेट नाम, एक व्यक्ति के नाम 29 अलग-अलग जगहों से, 60 लाख और राजस्थान से 45 लाख और उस पर कारण बताओ नोटिस, मैं खुद पेश हुआ हूं, उच्चतम न्यायालय ने दिया है। मजे की बात ये है कि इन आंकड़ों के बीच में 24 लाख तो खुद चुनाव आयोग मान रही है, उसमें भी कुछ ऐसे विचित्र उदाहरण दिए हैं, कि अगर एक व्यक्ति, अगर ये व्यक्ति है तो इनका नाम 20-25 जगहों से आ रहा है। तो इसके लिए आप पीडीएफ कॉपी दीजिए, सॉफ्ट कॉपी दीजिए और वो तो हम नहीं कर सकते इसको, कितना चैक करें हम, एक पार्टी कितना चैक कर सकती है? चुनाव आयोग को इसके लिए चिंतित होना चाहिए, सरकार को चिंतित होना चाहिए। अगर दो स्टेट में इसका आधा भी सही है तो पूरे भारत में तो ये पूरे चुनाव का परिणाम बदल सकता है। गाँधी बनाम राजनारायण मामले में जो संवैधानिक खंडपीठ थी, उसमें उच्चतम न्यायालय ने बार-बार कहा है कि मूल सिद्धांत है कि निष्पक्ष स्वतंत्र चुनाव और लोकतंत्र हमारे संविधान के मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग है, part of the basic structure of the constitution. तो इसलिए ये बहुत डरावने आंकड़े हैं और हमने कहा कि आज जब इलेक्टोरल की बात करते हैं तो तुरंत इसको ऐड्रेस करना चाहिए और शेयर करना चाहिए आवाम के साथ क्योंकि इसकी विश्वसनियता के बिना चुनाव आयोग की विश्वसनियता खुद खतरे में पड़ जाती है।

एक चौथा मुद्दा था, महिलाओं के आरक्षण के बारे में। हमने बड़ा स्पष्ट किया कि हमारे वक्त, हम गौरवशाली समझते हैं अपने आपको कि हमने इसको राज्यसभा में पारित भी करवा दिया था। अब ये अलग बात है कि उसके बाद आगे चला नहीं और लैप्स हो गया। लेकिन इसका कोई तरीका नहीं है इसके सिवाए कि कानून के द्वारा अगर आप डिस्क्रिशन पर छोड़ेंगे पार्टियों को, अलग-अलग पार्टियों को तो ये बहुत हद तक अनिवार्य नहीं हो पाएगा और अखिल भारतीय स्तर पर लागू नहीं हो पाएगा।

कई ऐसे मुद्दे हमने और भी जोडें हैं। मैं हमारे सहयोगी से कह रहा हूं कि हमारे पास जो पूरा दस्तावेज है, लिखित रुप से और मैं समझता हूं कि कांग्रेस पार्टी का दस्तावेज सबसे व्यापक था, मुकुल वासनिक जी और पार्टी ने हर मुद्दे पर बोला और हमारा जो लिखित दस्तावेज है, हर मुद्दे पर स्पष्ट है, वो आपको मिल जाएगा, ईमेल पर, आपको मिल भी गया होगा।

आखिर दो मुद्दे थे, एक मुद्दा था कि ये भी एक मजाक है कि एक प्रावधान है, 126, उसके अंतर्गत 48 घंटे पहले एक प्रकार का चुनावी अभियान रोकना पड़ता है आपको। जो आप देख सकते हैं, जो विजूअल हैं या टी.वी. पर हैं, बाकी सब तौर तरीके अलाउड हैं। अगर मैं कल बैठकर टी.वी. पर नहीं जाऊं, लेकिन आप सब जो प्रींट मीडिया वाले पत्रकार हैं, उनके साथ बार-बार हर दिन इश्तिहार निकालूं या वक्तव्य दूं, उन 48 घंटे में तो क्या ये मजाक नहीं है इस प्रतिबंद्ध का जो 126 में पाया जाता है? इस विषय में क्या चुनाव आयोग को भरसक प्रयत्न नहीं करना चाहिए था सरकार के साथ कि जल्द से जल्द से सरकार बिल लाए? तो ये सब जो लूप होल हैं, कई डैफिशियेंसी पाई गई हैं।

हाँ, एक बात सभी पार्टियों से, सर्वसम्मति से, दिव्यांगों के विषय में हर प्रकार की सहुलियतें देनी चाहिएं, हमने, सब पार्टियों ने समर्थन किया। ये शायद एक ही मुद्दा था, जिसमें बीजेपी अकेली, अलग नहीं पड़ी।

पोस्टल बैलेट के विषय में हमने ये बड़ा स्पष्ट किया है कि पोस्टल बैलेट को क्योंकि ये एक सहुलियत है, ये सिर्फ उनके लिए है जो दूर-दराजों में हैं, इसको आप इलेक्ट्रॉनिक नहीं बना सकते हैं, जब तक कि सर्वसम्मति नहीं हो क्योंकि हर प्रकार के दूर दराज के लोगों को अगर आप चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक सहुलियत दे देते हैं तो इसमें विश्वसनियता आइडेंटिटी पर प्रश्नचिन्ह उठ जाता है कभी-कभी। तो जो अभी सिस्टम चल रहा है जब तक सभी पार्टियाँ सर्वसम्मति से नहीं मानती, तब तक उसी सिस्टम को चलने दें, यानि फिजिकल पोस्टल बैलेट होता है, वो चलता रहे। अगर भविष्य में इस पर मत बदलता है तो कोई समस्या नहीं होगी।

एक प्रश्न की बैलेट पेपर कि तरफ जाना गलत होगा के उत्तर में श्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि देखिए मैंने वासनिक जी से बात की है। मेरे मित्र वहाँ मौजूद थे खुद, मैं आपको बड़ा स्पष्ट कहना चाहता हूँ, ये गलत है मिनट्स देखे जाएँ। आज अगर दस पार्टीयां थी या सौ पार्टीयां थी तो 70 प्रतिशत नें कांग्रेस के स्टैण्ड और कांग्रेस ने उनके स्टैण्ड का सम्पूर्ण समर्थन किया है। न जाने कौन से आंकड़े और कौन सी गिनती कर रही है चुनाव आयोग एनसीपी ले लीजिए, सपा ले लीजिए, बसपा ले लीजिए, आप ले लीजिए, जेडीएस ले लीजिए, लैफ्ट में सिर्फ वामपंथीयो में सिर्फ सीपीएम नहीं है लेकिन फॉरवर्ड ब्लॉक भी है तो कौन सी पार्टी है? अगर चुनाव आयोग ये कह रहा है कि अभी क्योंकि बहुमत में है बीजेपी तो हम सीटें गिनेंगे नहीं, पार्टीयां नहीं गिनेंगे तो गलत होगा। बीजेपी ने स्पष्ट रुप से इसका विरोध किया है। बाकि पार्टीयां जो बीजेपी को सपोर्ट कर रही हैं, स्पष्टता से बोली भी नहीं हैं इसके ऊपर। लेकिन मान लीजिए, कि ऐसे भी और शिवसेना ने उनका समर्थन किया है तो 3-4 पार्टी। वहां तो मैने अभी आपके सामने 10 पार्टीयां लिखवा दी उसके अलावा बहुत सारी छोटी पार्टीयां थी बीजेपी के एक-एक व्यक्ति आए थे। मैं तो बहुत अचंभित हूँ और मैं इसका खंडन करता हूँ बड़े ही स्पष्ट शब्दों में आपके सामने, और ये बात मेरी बात नहीं है आप बाकी पार्टीयों का नाम लिया है उनसे पूछ लीजिए। तीन पार्टी बनाम पंद्रह पार्टी या दस-बारह पार्टीज

एक अन्य प्रश्न की ईवीएम के प्रोग्राम में छेड़खानी करके किसी एक निश्चित पार्टी के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है क्या उस प्रोग्रामिंग को आप पकड़ पाएंगे के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि देखिए ये सब तकनीकि मामला है इसीलिए तो हमने मुद्दे उठाए हैं। कहाँ पर ये रिपेयर होते हैं? जब आपकी 13 प्रतिशत मशीनज खराब होती है तो अचानक कहां से आती है 13 प्रतिशत? कहां पर मेन बॉडी का फर्क है ओल्ड और न्यू में। अब ये सब हम तो यहां पर बैठकर नहीं कर सकते न, जब तक अगर आपके साथ आज चुनाव आयोग शेयर नहीं करता है ये चार डीटेल्स, मैं उदाहरण दे रहा हूँ इसका तो आपको हम पाँच और प्रश्न बता देंगे। लेकिन जब आप शेयर ही नहीं करोगे तो क्या बताएंगे आपको। आज हम न्यूनतम कह रहे हैं, देखिए बार-बार मैं न्यूनतम कह रहा हूँ, न्यूनतम जब आपकी पेपर ट्रेल निकलती है तो 30 प्रतिशत मशीन्स में जो मैंने बटन दबाया और जो पेपर ट्रेल निकली उसका आप सैंपल करीए। इसका मतलब ये नहीं कि आप ट्राई नहीं कर सकते हैं।

एक अन्य प्रश्न की कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के सहयोगी राजनीतिक दलों के अलावा बीजेपी और उसके सहयोगी दल भी चाहते थे ये जानना कि ईवीएम कहाँ रिपेयर होती है के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि नहीं, बिल्कुल नहीं, ये सब मुद्दे मैंने आपको बताए हैं कांग्रेस प्लस 70 प्रतिशत समर्थकों को बताया। वो चाहते क्या थे, वो तो विरोध किया, मैने बड़ा स्पष्ट बोल दिया। बीजेपी और उनके कुछ अलाइज ने विरोध किया, इसीलिए मैं बोल रहा हूँ, स्पलैंडिड आईसोलेशन में खड़े थे, अकेले खड़े थे।

एक अन्य प्रश्न कि आरएसएस ने श्री राहुल गांधी को अपने प्रोग्राम में आमंत्रित किया है क्या वो जाएंगे के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि अभी मैंने आने से पहले औपचारिक रुप से चैक किया अभी हमें कोई निमंत्रण मिला नहीं हैं नंबर एक, नंबर दो जब तक निमंत्रण नहीं मिला है तो मैं किसी की काल्पनिक चीज के ऊपर रिएक्ट नहीं करने वाला हूँ। आप निश्चिंत रहें, जब मिलेगा तो सोच-समझ कर उसके बारे में उत्तर भी दिया जाएगा, आप लोगों को अवगत भी कराया जाएगा।

एक अन्य प्रश्न की आपने 25 प्रतिशत 30 प्रतिशत पर्चियों को मिलाने की बात कही है  के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि देखिए अगर कोई संवैधानिक संस्था नहीं मानेगी तो मैं आपके गले में हाथ देकर तो निकाल नहीं सकता न कुछ भी। हम तो सिर्फ इतना ही कर सकते हैं, हम इसका आपके सामने प्रदर्शन करेंगे, जनता के सामने प्रदर्शन करेंगे, मांग करेंगे। अब संवैधानिक एक तरीका होता है, उस संवैधानिक तरीके से आगे मैं क्या बोल सकता हूँ। अगर आपको ये लॉजिक के आधार पर और समझ के आधार पर गलत लगता है तो हम देश से पूछेगे कि क्या गलत मांगा है हमने हम आखिर ये ही तो मांग सकते हैं। और आपके प्रश्न का एक और उत्तर है अगर वो उत्तर नही देते हैं इस तरह से तो उस पर एक विश्वसनीयता का प्रश्न चिन्ह उठता है।

On a question on rising petrol and diesel prices, and statement of Nobel Laureate Amartya Sen with regard to opposition, श्री सिंघवी ने कहा कि देखिए जहां तक दूसरे प्रश्न का सवाल है मैने कहा था बार-बार स्टूडियो से कि अगर सबसे ज्यादा आतंक है बीजेपी को, माननीय मोदी जी को, सबसे ज्यादा भय है तो इसी बात का भय है कि आज इस देश में एक अभियान चलाएं जहां पर अलग-अलग विभिन्न पार्टीयां देश के कोने-कोने से इस चार वर्ष, साढ़े चार वर्ष को बहुत ही बुरा प्रसंग मानती है भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में

श्री सिंघवी ने कहा -जहां तक पहले प्रश्न का सवाल है एक जमाने में हमने देखा था कि कंप्टीशन हो रहा है। 56 इंच की छाती और भारतीय रुपया और डॉलर का। तो वो 56 इंच की छाती को पीछे छोड़ते हुए डॉलर रुपए का आज इक्वेशन 70 रुपए पहुँच गया है। अब लोग देख रहा है एक दूसरा कांप्टीशन की भारत की आयु और डीजल की कीमत तो स्वतंत्र भारत की आयु स्वाभिक सी बात है एक वर्ष ज्यादा है। एक वर्ष ज्यादा एक्चुअली नहीं है क्योंकि मुम्बई में और चेन्नई में डीजल की कीमत 73 रुपए है। स्वतंत्रता हमें मिली थी 1947 में तो उसके हिसाब से 71 वर्ष की आयु होती है तो दिल्ली में आंकड़े 70 से कुछ कम हैं कुछ दशमलव कम है लेकिन ये 70 से 73 की डीजल की बात कर रहा हूँ मित्रों पेट्रोल की बात नहीं कर रहा हूँ पेट्रोल तो 77-78 पर चल ही रहा है। तो मैं समझता हूँ कि ये कौन सी होड़ लगाई है माननीय मोदी जी ने, कौन से अच्छे दिन की विकृत परिभाषा लाए हैं, ये कौन सी डिक्शनरी है? जिसमें अच्छे दिन डिफाइन किए हैं इस तरह से जो आम आदमी के लिए डीजल, और डीजल मैं आपको याद दिला दूँ सिर्फ बड़ी-बड़ी, अच्छी-अच्छी फैक्ट्रीयों में नहीं लगता है, डीजल ट्रकों में भी लगता है, ट्रांस्पोर्ट में भी लगता है, किसान के ट्रैक्टर में भी लगता है। कोई एसएमएस की बात नही कर रहा है वो तो एक प्रतिशत से भी कम है।

उन आदमियों को लिए आप, 73 तो मुम्बई और चेन्नई में, 70 के लगभग यहाँ पर है और अच्छे दिन की बात भी आप उसके साथ-साथ करते हैं। बड़े-बड़े लैक्चर सुनाते हैं हमारे को वित्त मंत्रालय से कि इससे बेहतर कुछ कभी हुआ नहीं, और हर शब्द के ऊपर उत्तर आता है Legacy issue तो भईया ये कौन सा Legacy issues है?

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

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