29-Jan-2019 कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन संबोधित करते हुए

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP and Sr. Spokesperson AICC addressed the media At AICC Hdqrs. today.

Dr. Singhvi said may I start by conveying the deepest and heartfelt condolences on behalf of the Congress Party and all its Members and of course from the Congress President, on the sad demise of Shri George Fernandes. श्री जॉर्ज फर्नांडीस की मृत्यु पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से, कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से, कांग्रेस मैंबरान की तरफ से, उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, वो एक जुझारु राजनैतिक नेता थे। And he will be long remembered in the political arena for his fiery qualities and for his commitment to any cause he raised. आज हम बात करना चाहते हैं जो अभी एक – दो दिन पहले प्रकाशित हुई है, बहानेबाजी, लाचारी इस सरकार की, सीवीसी के विरुद्ध एक्शन लेने के संबंध में और हमारा आरोप है कि ‘मोदी सरकार के लागातार जारी है संस्थानों पर वार, जनता माफ नहीं करेगी, लोकतंत्र पर ये प्रहार’।

पर्दे के पीछे छुपना, दोगली आवाजें इस्तेमाल करना, आडंबर करना, अपने कुकर्मों को छुपाने के लिए सबसे बड़ी बहानेबाजी करना कि हम लाचार हैं, हम एक्शन नहीं ले सकते, जहाँ उनको सूट करता है, जहाँ एक्शन नहीं लेना चाहिए, वहाँ खूब जबरदस्त एक्शन लिया जाता है, दिन प्रतिदिन, गैर कानूनी दुष्प्रभाव से, द्वेष से प्रेरित। लेकिन जहाँ एक्शन ले सकते हैं, लेना चाहिए, वहाँ लाचारी व्यक्त की जाती है, इस प्रकार के आडंबर, इस प्रकार के झूठे और बेमाने बहाने इस देश में अब नहीं चलेंगे।

तो हम माननीय  मोदी जी से पूछना चाहते हैं कि आप देश के प्रधानमंत्री हैं, तो एक्शन आप नहीं लेंगे तो क्या हम लेंगे? आप 56 इंच छाती की बात करते हैं, इतने सशक्त  व्यक्ति और वक्ता हैं, तो अगर आप अपनी लाचारी और मजबूरी व्यक्त कर रहे हैं वो भी डेढ़ और पोन दो साल बाद और लाचारी क्या है – कि हमारे पास गाइडलाइंस नहीं हैं, तो गाइडलाइंस क्या कांग्रेस पार्टी फ्रेम करेगी? गाइडलाइंस क्या तीसरी पार्टी कार्यांवित करेगी, भारत सरकार या माननीय प्रधानमंत्री करेंगे? क्या ये बड़ा साफ रुप से किसी की मदद करने का प्रयत्न नहीं है, क्या ये बड़े साफ रुप से समय बिताने का प्रयत्न नहीं है कि समय निकल जाए? यानि दो साल, पौने दो साल तो ऐसे ही निकल गए। दूसरा अगर आपके पास सही लोग असिस्ट करने के लिए नहीं हैं,  या वकीलों और सुझाव की कमी है, तो हम आपको यहां से सुझाव दे सकते हैं कि आप इतने शक्तिविहीन नहीं हैं, जितनी आप मजबूरी दिखा रहे हैं, बहाने बना रहे हैं।

पहली बात,  गाइडलाइंस आपने पौने दो वर्ष तक फ्रेम नहीं की, इसका उत्तर दीजिए। ये तो मजाक है, गाइडलाइंस क्यों नहीं फ्रेम की? क्या सीवीसी कानून के बाहर है? मैं आपको प्रत्यक्ष प्रमाण देता हूँ सात हजार करोड़ के स्कैम का और आप मेगा पुलिस मैन हैं, वॉच डॉग हैं,  भ्रष्टाचार के विषय में और आप उस पर कुछ नहीं करते हैं। अगर कंप्लेन होती है आपके विरुद्ध, तो क्या कोई गाइडलाइंस नहीं बना सकते आप उस कंप्लेन पर एक्शन लेने के लिए, दो वर्ष तक, पौने दो वर्ष तक,  बल्कि पहले 2014 से 2017 तक?

दूसरा शायद आपने सेक्शन अनुच्छेद 6 नहीं पढ़ा है, उस एक्ट को जिसके अंतर्गत सीवीसी नियुक्त हुए हैं। जिसमें बड़ा स्पष्ट लिखा है, मैं पढ़ दूँ, कागज मिलेंगे आपको हमारे कार्यालय से, it is clearly written that “subject to the provisions of Rule 3 the CVC or any Vigilance Commissioner shall be removed from his office only by order of the President on the ground of proved misbehaviour or incapacity after the Supreme Court on a reference made to it by the President reference to the Supreme Court by the President i.e. the Central Government. Has an enquiry reported that the CVC or any Vigilance Commissioner, as the case may be, ought on such ground to be removed. प्रेसिडेंट होता है सेन्ट्रल गवर्मेंट, केन्द्र सरकार, पहली बात तो आप शक्तिविहीन नहीं है। दूसरी बात अगर अपने आप को आप शक्तिविहीन समझते हैं, बनाना चाहते हैं तो सीधा कानूनी प्रावधान है, इसके अंतर्गत आप एक सिंपल दो लाइन की अर्जी दे सकते थे, उच्चतम न्यायालय में और उच्चतम न्यायालय में अगर रेफर होता तो उसका दूसरा प्रावधान ये है कि अगर उच्चतम न्यायालय इस पर कोई प्रक्रिया शुरु करता है, मैंने अभी 6(1) पढ़ा है, 6(2) उसके बाद आता है, वो कहता है कि अगर किसी ऐसी अर्जी, अर्जी कौन करेगा, केन्द्र सरकार, लिखा है इस पर। केन्द्र सरकार की अर्जी में अगर उच्चतम न्यायालय कार्यवाही शुरु करता है तो साफ-साफ अधिकार क्षेत्र है उसको लंबित कर दे तब तक उस समय तक जब तक वो कार्यवाही, वो इंक्वायरी, वो तहकीकात चल रही है। हमारा अभी विषय ये नहीं कि आप गलत हैं, हम सही हैं। हम गलत हैं, आप सही हैं। हमारा विषय ये भी नहीं है कि सीवीसी इस पर गिल्टी हैं कि नहीं है, हम वो नहीं कह रहे हैं। हम कह रहे हैं कि आप इतनी व्यापक कंप्लेंट के विषय में दो वर्ष तक, पोने दो वर्ष तक चुप्पी कैसे साध सकते हैं और इतना बड़ा ढोंग कैसे कर सकते हैं, भ्रष्टाचार विरोध का? जो दिन प्रतिदिन आप उपदेश देते हैं, पूरे देश को और बाकी सब पार्टियों को इसका कारण क्या है? इसका कारण बड़ा  सरल है – एक तरफ एक व्यक्ति आपके काम करता है, एक तरफ एक व्यक्ति आपके काले कारनामों को कवरअप करता है, दूसरी तरफ आप उस व्यक्ति की सुरक्षा करते हैं, समर्थन करते हैं। सीधी बात ये है – क्या किया? आप जानते हैं, किस प्रकार के आरोप आए थे, किस प्रकार से डेनमार्क रात को जाते-जाते रुक कर सीबीआई के विषय में किस प्रकार से दस्तावेज बने थे, किस प्रकार की रिपोर्ट आई सीवीसी की, किस प्रकार से सीवीसी ने जस्टिस पटनायक जो नियुक्त हैं, उच्चतम न्यायालय द्वारा उनसे शेयर नहीं की थी। किस प्रकार के आरोप बाद में लगाए गए कि माननीय सीवीसी जी जाकर सीबीआई चीफ के साथ बैठे और पैरवी की अस्थाना जी की। ये सब चीजें हमने इसी पोडियम से आपके समक्ष रखी हैं, इसलिए मैं व्यापकता के साथ, विस्तार के साथ दोहरा नहीं रहा हूँ, लेकिन एक बात सही है, पक्की है कि आज आपकी असमर्थता, आपकी कमजोरी, आपकी लाचारी सिर्फ इस कारण से है कि आप समर्थन में लगे हैं, उस व्यक्ति के जिनसे आप अपने गलत काम करवा रहे हैं। जो आपके दुष्प्रभाव में आपके गलत काम कर रहे हैं, इसके कई उदाहरण मैंने आपको दे दिए। और उदाहरण भी हैं, छुपे हुए हैं और सबसे बड़ी विडम्बना ये है कि अगर जो सबसे बड़ा पुलिस मैन है भ्रष्टाचार का, उसके सामने ऐसी कंप्लेंट है, तो कम से कम वो वापस तो लिखे कि हमने इसकी प्राथमिक तहकीकात की है और हमें प्राथमिक रुप से इसमें कुछ नहीं दिखता, हम इसको आपको वापस भेज रहे हैं, आपकी कंप्लेंट को। ये तो नहीं कर सकते कि आप फुटबॉल करें और पोने दो साल बाद बोलें कि हमने गाइडलाइंस नहीं बनाई।

एक प्रश्न पर कि प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सरकार ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है कि अयोध्या मामले में जो गैर विवादित जमीन है उसको न्यास को वापस दे दिया जाए,इसके उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय जो निर्णय करेगा इस पर हमें कोई हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन चूंकि आपने पूछा है तो मैं एक आपको बड़ी विशेष बात बता दूँ और उससे आपको सही उद्देश्य इस प्रकार की चीजों का मिल जाएगा। ये आपने क्या बात की अभी, आज की बात की, आज तारीख क्या है, 29  जनवरी, 2019, 29 जनवरी, 2019 को एक अर्जी याचिका नहीं, पेटीशन नहीं एक एप्लिकेशन है। एक अर्जी फाइल की गई है, किस मामले में, 2003 के मामले में, 2003 और 2019 में कितना फर्क है, सिर्फ 16 साल का। 16 साल बाद एक अर्जी फाईल की गई है, सरकार द्वारा। तो पहली बात तो क्यों 16 साल बाद आज से शुभ अवसर आया है, ये तो प्रश्न उठना चाहिए, जावड़ेकर साहब को पूछना चाहिए ये कि 16 साल बाद ये शुभ दिवस आया है, ये Auspicious दिवस आया है। जब वो एप्लिकेशन मूव करेंगे चाहे वो 3 महीने बाद वाले चुनाव को वहाँ पर रखते हुए है या किसी और कारण से हम नहीं जानते।

दूसरा वो याचिका है, याचिका नहीं अर्जी है, उसमें जो प्रेयर है, जो अनुरोध है उच्चतम न्यायालय से वो है 2003 यानि 31 मार्च 2003 का आदेश पहले से ही पारित है, उच्चतम न्यायालय द्वारा,वो आदेश कहता है कि जब तक मुख्य मामला अयोध्या के टाईटल डिस्प्यूट का निश्चत और निर्णित नहीं हो जाता है, तब तक जो आस-पास की भी जमीन है, जो जमीन आस-पास केन्द्र सरकार ने अक्वायर भी कर ली है, उपलब्ध भी कर ली है, फिर भी उसमें कोई हरकत नहीं होगी, जब तक मेन मुद्दा, मुख्य मुद्दा निर्णित नहीं होगा। समझ में आता है, बड़ा रीजनेबल ऑर्डर है की मेन मुद्दा होगा, उसके बाद। तो आज 16 साल बाद अचानक चुनाव के दो महीने पहले ये अर्जी कहती है कि वो आदेश 31 मार्च 2003 का थोड़ा संशोधित कर दीजिए कृपया करके उच्चतम न्यायालय जी और ये कह दीजिए की जो चीज हमने 16 साल से नहीं की, जो प्रतिबंधित थी, हमको अनुमति दे दीजिए की हम केन्द्र सरकार, वो जिसको कहते हैं, अविवादित जमीन किसी को भी दे दें।

तो अब आप अपने आप निष्कर्ष निकालिए हम तो सिर्फ आपको अर्जी पढ़कर बता रहे हैं, समय बता रहे हैं, तिथियाँ बता रहे हैं, इससे अगर इसका उद्देश्य परिलक्षित होता है, कि ये सही उद्देश्य है या राजनीतिक उद्देश्य है आप निर्णित करेंगे।

आधार डाटा लीक और इसके गलत प्रयोग से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि आधार की परिकल्पना यूपीए ने की थी और जिसका लक्ष्य था भ्रष्टाचार पर रोक। इसी प्रकार यूपीए ने कई ऐसी अच्छी नीतियाँ, चीजें, उत्तम ढांचे बनाए थे। जिनको भाजपा सरकार द्वारा विकृत करने का पूरा प्रयत्न किया गया है। आधार और जीएसटी इसके दो उदाहरण हैं। अब आधार को आप जितना विकृत करेंगे, बल्कि आपने कई वर्षों तक विकृत किया। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद उस पर एक प्रकार से, एक अंश में अब रोकथाम लग गई है। उच्चतम न्यायालय का निर्णय अभी हाल का है। तो कम से कम पाँच-छः साल तक प्रयत्न किया गया उसको विकृत करने का, तो इस प्रकार के उदाहरण आपके सामने आते हैं तो इसका मतलब ये नहीं की आधार का आईडिया गलत है, लेकिन आधार का दुरुपयोग जो आप करने का प्रयत्न करेंगे, स्नूपिंग से, सर्विलेंस से, अपनी नाक डालने से, हर किसी के घर में झांकने से, तो फिर इस प्रकार के उदाहरण आएंगे और मैं आपको क्योंकि इतिहास का एक तरीका होता है, पूरा फुल सर्कल आता है वापस।

एक उदाहरण देता हूँ मैंने पहले भी कई दिए हैं आपको, जिसकी तारीख है 8th April 2014, when Dr Manmohan Singh was PM, Modi Ji said “neither the team that I met nor the PM could answer my questions on the security threat it can pose, there is no vision, only political gimmick”.

हम भी कह सकते हैं, ये सब हम कहेंगे नहीं। क्योंकि हम जिम्मेवार विपक्ष हैं। हम मोदी जी वाले विपक्ष नहीं हैं, न मोदी जी वाले सत्तारुढ पक्ष हैं जो जब मर्जी आए अवसर वादिता के आधार पर जो वो कह दें।

आज इसी प्रकार के दुरुपयोग के उदाहरण आपको मिल रहे हैं, आधार के विषय में। और ये एक उदाहरण है, इसके अलावा आपको याद है कितने उदाहरण हमने दिए हैं आपको यहाँ से। जो आपने दिया आपने तो एक उदाहरण दिया है। One crore aadhar details can be accessed in just 10 minutes by paying Rs. 500 in Chandigarh.  ये आप लोगों ने इसकी तहकीकात की थी, हम लोगों ने आपको विस्तार से यहाँ बताया था। इसके अलावा अटॉर्नी जनरल ने जो कहा था कि हमने तो बड़ी फिजीकल वॉल दस फुट ऊपर लंबी बनाई है। तो इस प्रकार के बैंगलोर के ऑर्गेनाईजेश ने सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाईटी ने 130 मिलियन आधार कार्ड होल्डर्स की इंफोर्मेशन लीक हुई हैं, चार सरकारी वेबसाइट से, ये 1 मई, 2017 को एक स्टडी पब्लिश्ड हुई है। तो हम क्या करें, ये आपके थ्रू सिर्फ एक्सपोज हो सकता है कि जो आप इतनी बड़ी-बड़ी डिंगे मारते थे, उसकी हालत ये है। इसका दुरुपयोग किसी भी रुप से नहीं करिए और ये दुरुपयोग इसलिए हो रहा है क्योंकि कहीं न कहीं आपने इसका इस्तेमाल और चीजों के लिए किया है।

On another question on the statement of Shri Javdekar on the figures in relation to below poverty, Dr. Singhvi said हमें सुब्रहमण्यम स्वामी जी का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए, पूरी दुनिया जानती है कि किस प्रकार से फर्जी बोलना, फर्जी आंकड़े प्रस्तुत करना किस प्रकार से इस सरकार का पेशा है, मैं चुनौती दे रहा हूं श्री जावेडकर जी को कि मेरे साथ वन टू वन 10 मिनट कहीं भी कर लें, आपमें से किसी के साथ वन टू वन 10 मिनट कर लें, हम आपको ब्रिफ कर देंगे। सबसे ज्यादा भारत की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी द्वारा 2004 और 2014 के बीच में सबसे भारी मात्रा में, सबसे व्यापक रुप से, सबसे ज्यादा संख्या में गरीब हमारी गरीबी रेखा से ऊपर लाए गए। अगर आपको इसमें कोई शक है तो वापस में चुनौती दे रहा हूं और आप इसको याद रखिएगा जब आप उनकी प्रेस वार्ता में जाएं और दोहराएं इस बात को, कि इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण दें, मैं भी फिगर नहीं दे रहा हूं।

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

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