AICC Press Briefing By Abhishek Singhvi on Kathua & Unnao Cases. (Hindi)

मोदीजी का नया नारा है– भाजपा से बेटी बचाओ !

प्रधानमंत्री मोदीजी मौन व्रत धारण करे बैठे हुए हैबैठे रहिये,
पर देश अब प्रधानमंत्री मोदीजी से केवल दो शब्दों की अपेक्षा रखता  है –  ‘अब बस‘ !

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी जी का नया नारा है- ‘भाजपा से बेटी बचाओ।’ प्रधानमंत्री मोदी जी मौन व्रत धारण करके बैठे हुए हैं, तो बैठे रहीए, परंतु देश अब प्रधानमंत्री मोदी जी से केवल दो शब्दों की अपेक्षा करता है, अब बस, अब बहुत हो गया। कल ठीक रात्रि के बीच में जब पूरा देश सो रहा था, तब पूरा देश एक साथ जाग भी उठा और वो किसी राजनैतिक कारण से नहीं, लेकिन अंदर के आक्रोश, अंदर के दर्द, अंदर की पीड़ा के कारण और श्री राहुल गाँधी जी का भी उद्देश्य उस रात्रि वाले अभियान में सिर्फ एक था कि हमें आज अपनी आत्मा को जागरुक करना है, महिलाओं के विषय में, लेकिन विशेष रुप से इस विषय में कि किस क्रूरता से ये एक घटना घटी है कि विश्वास नहीं होता कि ये हमारा भारत है।

जब इतनी दर्दनाक पीड़ा वाली चीज हुई है तो स्वाभाविक है कई प्रश्न उठना। कहाँ हैं वे सभी प्रखर, मुखर, बहुत जबरदस्त क्षमता वाली महिलाएँ, बीजेपी की महिलाएँ, बीजेपी की लीडर, बीजेपी की सभी लीडर लेकिन विशेष रुप से बीजेपी की महिला लीडर। कहाँ हैं उनके ट्विट, कहाँ उनके मुखर, प्रखर वक्तव्य? कहाँ हैं उनका गुस्सा, कहाँ हैं उनके स्टेटमेंट, कहाँ हैं उनकी टी.वी. बाईट?  मैं जानता हूं तो काफी उकसाने के बाद कई दिनों के बाद एक प्रवक्ता का वक्तव्य आया है, वो अपने आपमें बड़ा रोचक है। लेकिन कहाँ हैं स्मृति ईरानी जी, कहाँ हैं सुषमा स्वराज जी,कहाँ हैं इतने ज्यादा उनके महिला लीडर?

अब मैं उनके महिला लीडर के कुछ वक्तव्य पढ़ना चाहता हूं। उसकी तारीख मैं पढ़ने के बाद दूंगा। एक वक्तव्य है- Dr. Singhvi quoted “Wonder why the Prime Minister can address the Nation on FDI but not on the challenge which the Nation faces with regard to women safety. Guess FDI is more important than rape.” ये वक्तव्य है माननीय मंत्री महोदय स्मृति ईरानी जी का, इसकी तारीख है, 23दिसंबर, 2012, पौने 6 बजे शाम को।

माननीय सुषमा स्वराज की का वक्तव्य पढ़ लूं मैं, “BJP women MPs to sit on ‘Dharna’ for before Parliament House at 10.00 am tomorrow demanding action against culprits of Dhaula Kuan rape case” – November 2010. In Feb 2011 “I want death sentence in all cases of rape and murder and all cases of kidnapping, abduction and murder. Please retweet and support my call. …

मैं हूबहू उनके शब्दों का प्रयोग कर रहा हूं, quote, un-quote ये भी सुषमा स्वराज जी का है। अंत में एक और सुषमा स्वराज जी का वक्तव्य है “Delhi child rape case has shown that perversity and citizen is common to these criminals.” – April 11, 2013.

और कुछ नहीं तो कुछ घडियाली आँसू तो बहा देने चाहिएँ और कुछ नहीं तो कुछ स्पष्टीकरण, कुछ जस्टिफिकेशन, कुछ वक्तव्य तो आ जाना चाहिए था। क्या इतना भय है, इस सरकार का और इस पार्टी का, सत्तारुढ़ पार्टी का उन्हीं कार्यकर्ताओं के अंदर कि वक्तव्य देने के बाद और पहले बहुत सोचना पड़ता है?  अब कुछ आंकड़ो को देख लें और ये आंकड़ो सिर्फ आंकड़ों के तौर पर नहीं दे रहा हूं मैं, लेकिन जो वृद्धि हुई है, वो अति आवश्यक है समझना। मैं आपको चार्ट दूंगा और जो वक्तव्य हैं वो भी दूंगा।

2016, 2013 और 2015, के बीच में क्या वृद्धि हुई है। कि kidnapping and abduction of women ये फिरौती की घटनाएँ जो हैं, 51,881 से लेकर, 65,519 हुए हैं, इन दो-ढांई वर्ष के कार्यकाल में ही, 2013 के बीच से लेकर 2016 तक, 3 वर्षों में। Assault With Intent to Outrage modesty 70,000 से लेकर 84,000, मैं एग्जेक्ट आंकड़ा नहीं दे रहा हूं, 70,739 से 84,746, Human trafficking लगभग 4,000 से लेकर 8,132, ये सिर्फ महिलाओं के विषय में बात कर रहा हूं मैं अभी और ये सरकारी आंकड़े हैं, मेरे नहीं। Crime against children 58,234, 58,000 लेकर 1 लाख 6हजार 958, अब विशेष रुप से आप रेप के विषय में देखें, हमारे पास 4 एक प्रतिकात्मक रुप से 4 क्षेत्रों के आंकड़े दे रहा हूं। दिल्ली 2013 से 2016में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 1,893 से लेकर 2,155, महाराष्ट्र में 36 प्रतिशत वृद्धि हुई है। एक तिहाई से ज्यादा वृद्धि हुई है और वो आंकड़े हैं 3,063 से लेकर 4,816, मध्यप्रदेश में 4,335 से लेकर 4,882 यानि साढ़े 11 प्रतिशत और छत्तिसगढ़ में 171 प्रतिशत वृद्धि, 17 प्रतिशत नहीं, 171 प्रतिशत। 1,141 से लेकर 3,094 यानि ड़बल से  भी ज्यादा।

मैं सिर्फ आंकड़ो की भी बात नहीं करना चाहता, ना वक्तव्यों की। मूल बात है कि किस प्रकार की चीजें हो रही हैं। उन्नाव कोई आम घटना नहीं है, रेप के स्टेंडर्ड से भी, मृत्यु के स्टेंडर्ड से भी। कठुआ कोई ऐसी घटना नहीं है, जिसे आप सिर्फ बलात्कार ही कह सकते हैं। इतनी भयानक,ऐसी घटना मैं समझता हूं कि हर भारतवासी का सर पूरी तरह से लज्जा से झुक गया हो। आज अगर इस देश में आपसी वैमनस्य फैलाकर,आपसी में एक दुराव पैदा करके, हर चीज को धार्मिक शब्दों, धार्मिक परिभाषाओं में देखना शुरु किया है तो किसने किया है, ये प्रश्न आप किसी से पूछ लीजिए? हर पार्टियों में त्रृटियाँ होती हैं, लेकिन अगर दरारें बनाई हैं, विभाजन किया है सोच में, मतभेद को मनभेद बनाया तो वो पार्टी एक ही है इस देश में, बीजेपी।

मुझे दुख हुआ, मुझे सिर्फ अचम्भा नहीं हुआ, दुख हुआ कि इतनी चुप्पी के बाद जब एक बीजेपी की महिला लीडर ने काफी दिनों के बाद एक वक्तव्य दिया तो उसमें भी इस प्रकार की चीजें हैं, जिनको आप धार्मिक क्लेरिफिकेशन कह सकते हैं, किसी विषय में उन्नाव और कठुआ के विषय में। उन्होंने हमें बताया कि ऐसे क्राईम तो 1984 में भी हुए थे, तब लोग चुप क्यों बैठे थे? क्या ये उत्तर उन्नाव और कठुआ के परिपेक्ष्य में और संदर्भ में सही है, एक प्रवक्ता द्वारा? क्या इस प्रकार की बातें सत्तारुढ़ पार्टी मोदी जी की सरकार कर सकती है?

मैं अपने शब्द नहीं कह रहा हूं,  “Crimes were committed against women in 1984 riots but no candle light march was led on that issue. ….

क्या कुतर्क है, तर्क है? और उसके बाद ये कहना कि मैं बहुत दुख के साथ quote करना आवश्यक समझता हूं क्योंकि सच्चाई सिर्फ दुख करके नहीं छुप सकतीहै। “You see the plan – first they shout minority-minority – then dalit – dalit and now women-women. ये आज का वक्तव्य है। मतलब कठुआ और उन्नाव जैसी चीजों को धार्मिक परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। वर्गों के कम्यूनिटी के परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। जब आपकी सोच ऐसी है तो सुधार कहाँ से आएगा?

हम ये पहले भी कह चुके हैं, वापस कह रहे हैं, दो मंत्री महोदय हैं, जिनके नाम आप जानते हैं, हमने पहले भी कहा है, जिन्होंने इन बलात्कारियों के समर्थन में स्लोगन उठाए और obstruction किया, तुरंत इस्तीफा होना चाहिए, सस्पेंशन होना चाहिए। जांच तो बाद की बात है। आज उच्चत्तम न्यायालय ने भी अपना मत प्रकट किया है, कि कैसे हो सकता है, कभी हुआ है कि पुलिस चार्जशीट फाईल करना चाह रही है और वकीलों का समुदाय कहता है कि आप चार्जशीट फाईल नहीं कर सकते हैं, अचरज की बात है। आप ये कह सकते हैं कि गलत है, सही है, कुटिल है, कन्फ्यूजन है, वो अलग बात है लेकिन आप चार्जशीट फाईल नहीं करेंगे, उसके लिए obstruction किया है। आज आसिफा और उन्नाव दो ऐसे भयानक शब्द हो गए हैं और इनके लिए हम जवाबदेही मांगते हैं, जवाब मांगते हैं सरकार का। मोदी जी की चुप्पी से जवाब मांगते हैं और जवाब के लिए कुछ सवाल हैं।

पहला कि क्या ये सही नहीं है कि कूलदीप सेंगर को किसी रुप में कस्टडी में ना लिया गया और ना लिया जाता अगर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के द्वारा बहुत कड़े शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया होता। ये सीधा प्रश्न है। अजय बिष्ट की सरकार जो वहाँ हैं, उसने क्यों बिष्ट सरकार ने क्यों इलाहाबाद उच्च न्यायालय कोर्ट की टिप्प्णी से पहले तुरंत गिरफ्तार नहीं किया और ये कौन सा तुक है कि पहले आप सरेंडर करो फिर आप सीबीआई जांच करेंगे। आपने पहले सुना है कि जब तक अभियुक्त सरेंडर नहीं करेगा, सीबीआई जांच नहीं करेगी, ये भी मांग हुई है उत्तर प्रदेश में।

दूसरा, जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी जी रात्रि में कैंडिल मार्च पर जाते हैं तो हर प्रकार की टिप्पणियाँ शुरु होती है। आप सरकार में हैं,सत्तारुढ़ पार्टी हो, राहुल गाँधी जी अभियान करें या ना करें, आपकी चुप्पी बंद क्यों नहीं हुई। माननीय प्रधानमंत्री जी इतने मुखर और प्रखर वक्ता हैं, वो क्यों नहीं बोले?

तीसरा, 3 महीने में आपके इस्तीफे क्यों नहीं मांगे, क्यों कोई निष्कर्ष नहीं मांगा और कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया देश में, आसिफा के केस में, कठुआ के विषय में? 3 महीने में हमारे प्रधानमंत्री जी पूरा साल चुप्पी रहते हैं, कुछ मुद्दों पर और बाकि कुछ मुद्दों के लिए जबरदस्त वक्ता हैं। वहाँ की मुख्यमंत्री ने भी चुप्पी रही। ये स्ट्रेटेजिक चुप्पी है कि जब मर्जी बोल दो और वहाँ की मुख्यमंत्री ने 3 महीने तक चुप्पी रखी हुई हैं।

और आखिरी, आज अचानक मोदी सरकार बात कर रही है कि हम पॉस्को एक्ट को अमेंड करेंगे। आप जानते हैं The Protection of Children from Sexual Offences Act, POCSO आज सवा 4 वर्ष के बाद आपको याद आया POCSO अमेंड करना और अभी तो उसकी बात ही नहीं की,ना जनवरी से मार्च तक बात की, पहले इसकी बात नहीं की, इतनी बार अमेंड नहीं की छोटी, मोटी, ना लोकपाल का एक लाईन का अमेंड किया,ना POCSO की बात की पहले। मैं समझता हूं कि 3 व्यक्तियों के मुँह से पूरा देश इंतजार कर रहा है कुछ शब्द सुनने के लिए, वो तीन व्यक्ति हैं, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर और माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और वो शब्द स्पष्ट होने चाहिएं, वो शब्द व्यापक होने चाहिएं, वो शब्द सहानुभूतिपूर्ण होने चाहिएं। आज देश इंतजार कर रहा है।

एक प्रश्न पर डॉ. सिंघवी ने कहा कि आज उच्चत्तम न्यायालय ने नोटिस जारी किया है और कहा है मैं खुद कोर्ट में था कि डिस्ट्रीक बार एसोसियेशन और हाईकोर्ट बार एसोसियेशन किसी रुप से कोई ऐसी चीज नहीं करेगा कानूनी कार्यवाही में व्यवधान हो।

नंबर दो, कोई व्यक्ति हो, व्यक्ति  विशेष के कोई मायने नहीं, अगर कानून कार्यवाही और वो भी ऐसी भर्त्सना योग्य वारदात के विषय में कोई भी obstruct करता है और ये मैं नहीं कह रहा हूं, आप दोषी हैं, वो दोषी नहीं है, ये दोषी हैं, ये बात नहीं है। कोई भी obstruction पैदा करता है,तो मैं नहीं समझता कि कांग्रेस पार्टी किसी भी रुप में उसके समर्थन में खड़ी हो। मैं नहीं समझता कि उच्चतम न्यायालय के आज के आदेश के बाद कोई भी उच्चतम न्यायालय के साथ खड़ा है, बार एसोसियेशन हो, office-bearer हो, आम आदमी हो, सिटीजन हो।

एक अन्य प्रश्न कि Information Minister ने एक बयान दिया है कि कांग्रेस सत्ता पाने के लिए ऐसा कर रही है, डॉ. सिंघवी ने कहा किल अब आप देख सकते हैं कि घबराहट और बौखलाहट की लिमिट क्या हो सकती है। इससे 2 चीजें बड़ी स्पष्ट हैं। एक तो रेप के वक्त भी उनको सत्ता से मतलब है। माननीय मंत्री महोदय सिर्फ सत्ता की सोचती है, अरे मेरी कुर्सी बच जाए, सरकार चली जाएगी। बात हो रही है उन्नाव और कठुआ की और यहाँ बात हो रही है सीट की, कुर्सी की। दूसरा, इतना भयभीत हैं, क्या इस देश में आप में से सब व्यक्ति का, हर पार्टी का, हर पार्टी के लीडर का, हर राजनीति में सक्रिय व्यक्ति का हक नहीं है, अधिकार क्षेत्र नहीं है कि इसमें आप जबरदस्त आवाज उठाएं। वो आवाज को कहिए सत्ता लेना, सत्ता नहीं लेना, राजनैतिक या अराजनीतिक, मैं समझता हूं ये दुर्दशा है इस सरकार की, सत्तारुढ़ पार्टी की, अगर इस तरह के वक्तव्य आ रहे हैं।

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