Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP and Spokesperson, AICC addressed the media.

Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP and Spokesperson, AICC addressed the media.

डॉ. अभिषेक सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम आपके जरिए भाजपा से माफी मांगने की मांग स्पष्ट रुप से कर रहे हैं, “भाजपा माफी मांगो”। क्यों, क्योंकि भाजपा अशिष्ट, अशोभनीय, अपमानजनक बयानों की माता है, Producer है, जननी है। निरंतर आपत्तिजनक बयानबाजी करने वाली भाजपा ने आजतक अपनी किसी भी अभद्र टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगी है और हम आपको इस विषय में उनके चाल, चरित्र और रवैये का बेनकाब करने वाले हैं। प्रधानमंत्री अपनी, मैं प्रधानमंत्री स्तर के व्यक्ति की बात कर रहा हूं। प्रधानमंत्री अपने प्रतिद्वंधियों के लिए भौंकना, ये शब्द मेरे नहीं हैं, मैं माननीय प्रधानमंत्री जी के शब्दों का प्रयोग कर रहा हूं, भौंकना, दीमक, Night watchman ये शब्द कांग्रेस के लिए इस्तेमाल किया है, ये डॉ.मनमोहन सिंह जी के लिए इस्तेमाल किया है, जर्सी गाय सोनिया जी के लिए किया है, खूनी पंजा, जैसे अपशब्दों का प्रयोग करते हैं और उनके मंत्रिगण इस पर ताली बजाते हैं। क्या यही राजनीति शूचिता का पर्यावाची है? क्या यही स्वच्छ अभियान है राजनीतिक शूचिता का, क्या भाजपा को इस पर माफी नहीं मांगनी चाहिए?

श्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी ने एक आदत सी बना ली है, बेशर्मी के साथ ऐसे अपशब्दों, आपत्तिजनक बयानबाजी, भद्दी, घृणात्मक, गंदी बयानबाजी करके और उसके बाद बड़े सहज रुप से उसको भुला देना, उसके विषय में माफी तो दूर किसी प्रकार का कोई भी regret भी प्रकट नहीं करना। माननीय प्रधानमंत्री की बात क्या करें, माननीय बीजेपी अध्यक्ष की बात क्या करें, सबसे निचले पदक्रम के भाजपा कार्यकर्ता भी कभी ऐसी चीजों के लिए माफी नहीं मांगते। ये घृणात्मक, आपत्तिजनक टिप्पणियाँ चाहे महिलाओं के बारे में हों, चाहे राजनीतिक प्रतिद्वंधियो के बारे में हों, चाहे आम नागरिकों के बारे में हों, चाहे दलित के बारे में हों और इन सबके बारे में मैं आपको उदाहरण देने वाला हूं, माफी कभी नहीं मिलने वाली है। इसका आभास भी कभी नहीं मिलने वाला है और जिस सहजता से, जिस खुलेपन से इस प्रकार की भाषा और इस प्रकार का एक शैली का इस्तेमाल किया जा रहा है। मैं समझता हूं कि ये अपने आप में पीएचडी थीसिस की स्टड़ी हो सकती है और ये आवश्यक है कि राजनीति में आपके समक्ष इसको expose किया जाए और इसके उदाहरण दिए जाएं।

तो एक लाईन में, एक वाक्य में बीजेपी का मूल मंत्र है अपशब्दों का प्रयोग, गाली-गलौच और फिर बिना किसी माफी, बिना किसी आभास के भूल जाना, भाग जाना।

भाजपा के तीन-चार तो बहुत ही हाल के उदाहरण हैं। बहुत ही निकट हाल के उदाहरण हैं। सांसद परेश रावल जी और उन्होंने जरुर कुछ कहा है, वो शायद एक अपवाद है कि उन्होंने बाद में कुछ regret व्यक्त किया है, मैंने सुना है। उन्होंने महिलाओं के बारे में क्या संकेतात्मक नहीं सीधी टिप्पणी की है, आप पढ़ लीजिए, मेरा एक भी शब्द नहीं है, उन्होंने कहा कि- ‘Our Chai wala is any day better than your Bar wala’. इसके बारे में उन्होंने थोड़ा regret भी प्रकट किया है। रुपाणी जी ने गुजरात में प्रजापति समुदाय है, वहाँ के वो मुख्यमंत्री हैं, संवैधानिक पदाधिकारी हैं, उन्होंने उनको ‘चिल्लर’ कहा है, ‘चिल्लर’ आप समझते हैं आम चलती हुई खुले पैसे। क्यों, क्योंकि प्रजापतियों की हिम्मत हो गई कि उन्होंने आरक्षण मांग लिया। एक मंत्री महोदय लाल सिंह आर्य, मध्यप्रदेश में और उसके अलावा कई बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कहा कि नाथू राम गोड़से जैसे ‘महान व्यक्ति’ को ‘महापुरुष’ कहा है। ये महानता का मापदंड है बीजेपी का। अभी कोई चार दिन नहीं हुए, नित्यानंद राय जी हैं, बिहार के बीजेपी के अध्यक्ष हैं और मैं छोटे-मोटी हस्तियों की बात नहीं कर रहा हूं और छोटे-मोटे आसामी भी इस देश में कहने का पूरा अधिकार क्षेत्र नहीं रखते हैं। वहाँ के पूरे प्रदेश के अध्यक्ष हैं, वो कहते हैं कि आपने आवाज उठा ली, एक आँख दिखा दी, एक ऊँगली दिखा दी हमारे प्रधानमंत्री को, तो हम हाथ तोड़ देंगे आपका, हम chop off कर देंगे, सही शब्द हैं, broken, chopped off, ये तो मैं शायद सिर्फ एक हफ्ते, 7 या 10 दिन की बात बता रहा हूं। ये हालत है हमारे राजनीतिक discourse की। अब हुआ ये है कि जिसको आप fringe कहते हैं, एक प्रकार से जो मुख्यधारा का हिस्सा नहीं था कभी, भाजपा सफल हो गई है इस प्रकार की राजनीतिक शैली को मुख्यधारा का हिस्सा बनाने के लिए। सबसे महत्वपूर्ण बात है। ये भारतीय मुख्यधारा की शैली नहीं है, ये भारतीय गणतंत्र की मुख्यधारा की शैली नहीं है, ये भारत के अस्मिता की मुख्यधारा की शैली नहीं है, ये भारत की आईडेंटीटी की मुख्यधारा की शैली नहीं है, ये Idea of India की मुख्यधारा शैली नहीं है। लेकिन बीजेपी की ने बहुत कम समय में इसको एक मुख्यधारा की शैली बना दिया है।

मुझे आश्चर्य नहीं घृणा हुई। वास्तव में तीव्र दर्द हुआ और घृणात्मक feeling हुई कि इस प्रकार की अमित मालवीय उनके जो हैं, जैसे आईटी सेल के हैड बना दिए हैं। वो माननीय नेहरु जी के बारे में इतनी घृणात्मक गिरी हुई कट्टर वाली आक्षेप लगाने के लिए इस प्रकार की पिक्चर पोस्ट करते हैं। माननीय विजय लक्ष्मी पंडित जी के साथ नेहरु जी हैं। मैं आपको ये पूरा दस्तावेज दूंगा और नीचे लिखते हैं। माननीय अमित मालवीय जी, Shri Amit Malviya Ji “it seems Hardik has more of Nehru’s DNA contrary to what Shaktisinh Gohel has claimed”.

इन तरह की चीज का सामान्यत: उत्तर देना सही नहीं समझता। मैं आपको सामूहिक रुप से एक व्यापक परिपेक्ष्य देने के लिए कहने पर विवश हो रहा हूं। लेकिन इस प्रकार कोई सत्तारुढ पार्टी तो दूर कोई भारतीय पार्टी इस देश की पार्टी भी नहीं, पाकिस्तानी पार्टी भी ऐसा नहीं कहती है, ना ही करती है।

अब मैं आपको कुछ और उदाहरण बताना चाहता हूं, जो पुराने हैं। मोदी जी 17 अक्टूबर को उन्होंने कहा, ‘विकास के नाम पर कांग्रेस भौंकती है’, मैं हर शब्द को quote कर रहा हूं, ये मेरे शब्द नहीं हैं। यह है 17 अक्टूबर 2017, पिछले माह का। माननीय मोदी जी 4 नवंबर 2017, एक हफ्ते पहले “दीमक है कांग्रेस”।

छत्तीसगढ फरवरी 2014, पुरानी बात हो गई, जानी-मानी चीज है। ‘खूनी पंजा’ है कांग्रेस, और इन किसी के लिए आपने बहुत सी माफी सुनी होंगी मोदी जी, खेद सुना होगा, मैंने तो नहीं सुना, उनके प्रवक्ता के द्वारा तो नहीं सुना, उनके पार्टी के द्वारा भी नहीं सुना, उनके अध्यक्ष द्वारा भी नहीं सुना।

माननीय डॉ.मनमोहन सिंह जी के विषय में कहा कि Night watchman, अब मनमोहन सिंह जी का वक्तव्य नहीं है। प्रधानमंत्री का पद तो वही है। उसी पद को तो ऑक्यूपाईड कर रहे हैं मोदी जी आज। कल प्रधानमंत्री पद के पदाधिकारी को हम बोलेंगे कि Night watchman, तो कैसे लगेगा उनको? उसके बाद मोदी जी ने कहा, सोनिया गाँधी जी के विषय में कहा ‘जर्सी गाय’, उसके तुरंत बाद राहुल जी के बारे में कहा कि ‘Hybrid Calf’। हमारी संस्थापिक स्मृति बहुत कमजोर है। इसलिए घृणात्मक, बड़े गिरे हुए, भद्दे शब्दों का प्रयोग मुझे करना पड़ रहा है। क्योंकि आप सब लोगों की स्मृति और देश के नागरिकों की स्मृति को झकझोरना, हिलाना अति आवश्यक है। नहीं तो मुझे कोई शोक नहीं है ऐसे शब्दों का प्रयोग करना, हम अपने प्रतिद्वंधियों के बारे में भी ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करते हैं।

उसके बाद उन्होंने कहा और ये बहुत रोचक है, कोटेशन में पूरा एक वाक्य कहा, सबकुछ मोदी जी के हैं ये, “I had taken a random survey of 20 people and all of them said they would not even hire Sonia Ji as a Clerk”.

अब इस देश के करोड़ लोग जब उनके साथ होते, सोनिया जी के, सत्तारुढ पार्टी के अध्यक्ष 10 साल रही हों और कई बार चुनाव जीती हों और  कहना उन्हें की Not even hire Sonia ji even as a Clerk, मैं नहीं समझता कि सोनिया जी के आदर में कमी होती है इससे, इससे मोदी जी कई गुने गिर जाते हैं और शायद क्लर्क को भी अपमानित कर देते हैं। फिर वो कहते हैं कि आपने तो ये सुना ही है कि माननीय डॉ. मनमोहन सिंह जी वो हैं जो having a bath in Bathroom with raincoat, ये तो उन्होंने संसद में कहा था। बाजारु किसको कहा था आपके समुदाय को। आपके (पत्रकारों से मुखातिब होते हुए) ही समुदाय को कहा था।

शशि थरुर जी का नाम लिया आपने, ये माननीय मोदी जी हैं जिन्होंने शशि थरुर जी के बारे में कहा था ‘50 करोड़ की गर्लफ्रेंड’। मेरे पास इस प्रकार के भद्दे, घृणात्मक उदाहरण की लिस्ट बहुत-बहुत लंबी है। मेरी मूल बात ये है कि जब इस देश के राजनीतिक वार्तालाप और वक्तव्यों के स्तर को नीचे गिराने की बात आएगी, गटर में ले जाने की बात आएगी तो, सिर्फ एक पार्टी है, एक प्रधानमंत्री हैं, एक सत्तारुढ पार्टी के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने ये किया है, वो सबसे अग्रणिय हैं। मैं उनको बधाई देता हूं कि उन्होंने ये रेस जीत ली है, इस रेस में हमने तो शुरुआत भी नहीं की, वो जीत गए हैं, सबसे अग्रणीत हैं।  और बधाई के पात्र हैं कि गंदे, भद्दे वाक्यों की रेस में अग्रणीय हैं, उत्तीर्ण हैं। लेकिन वो भूल जाते हैं कि ये भारत के गणतंत्र की सही पहचान नहीं है। मैं कहूंगा कि जैसे सीरियल कीलर हैं, ये सीरियल abuser हैं।

एक प्रश्न पर कि Serial abuser बीजेपी है या प्रधानमंत्री हैं, डॉ. सिंघवी ने कहा कि दोनों, एक दूसरे के प्लेटफॉर्म के बिना नहीं बोलते। मैंने 10 वाक्य अभी उनके दिए हैं, उससे पहले 10 वाक्य पार्टी के दिए हैं। मैं तो यहाँ तक भी तैयार हूं कि अगर पार्टी उनके behalf पर माफी मांग लें या वो पार्टी के behalf पर माफी मांग लें। हमें उसमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन हम जानते है कि ऐसा कभी नहीं होगा। इसलिए मैं अपने पहले वाक्य पर आता हूं। “भाजपा माफी मांगो”।

एक अन्य प्रश्न पर कि राहुल गाँधी जी ने पहले ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नसीहत दी थी कि प्रधानमंत्री पद को गरिमा बना कर रखें और हम उस पर हमला नहीं करेंगे, लेकिन उसके बावजूद कल जब ट्विटर पर आता है ऐसा, तो लगता नहीं है कि राहुल गाँधी जी की बातों का असर आपके कार्यकर्ताओं पर नहीं हुआ है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि आपने ये बहुत अच्छा, रौचक उदाहरण दिया है। आपको तुलनात्मक रुप से 30 सैंकड में ही फर्क मालूम पड़ जाएगा हमारे और उनमें। नंबर वन, ये हमारा ट्विटर हैंडल नहीं है, ये स्पष्टीकरण उस ट्विटर हैंडल से भी आ गया है, जहाँ से आपने पढ़ा है। उसके बावजूद हमारे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष ने वक्तव्य दे दिया है, उसके बावजूद मुख्य कांग्रेस, युवा कांग्रेस ने नहीं, राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से, श्री सुरजेवाला ने वक्तव्य दे दिया है और उस स्पष्टीकरण में यहाँ तक कह दिया है कि हम बिल्कुल असहमत हैं प्रधानमंत्री जी से। फिर भी हम प्रधानमंत्री जी का पूरा आदर करते हैं। हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंधी का आदर करते हैं। मैं ये नहीं कह सकता कि आप कल गाली दें तो अपने शब्द को rewind कर लें, ये शक्ति आप में नहीं है। लेकिन ये शक्ति तो है आपमें कि आप खेद प्रकट कर सकते हैं, माफी मांग सकते हैं। यहाँ तो माफी मांगी जा रही है उन लोगों द्लारा जिन्होंने कुछ कहा ही नहीं, जिनका ट्विटर हैंडल नहीं है और मैं उदाहरण दे रहा हूं उनको जो खुद बोल रहे हैं, बिना माफी के।

एक अन्य प्रश्न पर कि गुजरात में एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें राहुल गाँधी जी व्यापारियों से बातचीत कर रहे हैं, व्यापारियों के चेहरे को blur किया गया है, ड़र की वजह से, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि वो तो हम सब लोगों ने भी देखा है। इसके दो पहलू हैं। पहला कि वो वीडियो otherwise देखने लायक है। क्योंकि वो आपको तीव्र पीड़ा, तीव्र दर्द, हैरेसमेंट, नुकसान बहुत भयानक सा एक आक्रमण जो हुआ है व्यवसाय पर, वो दिखाता है, हीरे और कपड़े के व्यापारियों का। उस बात पर मैं नहीं जाना चाहता है, उसमें टिप्पणियाँ हैं, उसमें मांगें हैं, उसमें आक्रोश है, उसमें दर्द है। दूसरा पहलू ये बताईए आप, मैं आपके प्रश्न के उत्तर दे रहा हूं एक प्रश्न द्वारा, उत्तर है एक तरह से, आप मुझे ये बताईए, कि जो आज जो आप माहौल देख रहे हैं 2-3 सालों में, भय का कह लीजिए, आतंक का कह लीजिए, हिचक का कह लीजिए, इंडस्ट्री एसोसियेशन में कह लीजिए, प्रकाशकों में, पत्रकारों में कह लीजिए, आम आदमी में कह लीजिए। कभी ये था 2014 से पहले, क्या कभी था ये सोच सकता था कि, कांग्रेस राज में ब्लर करके चलाओ। तो इसका मतलब ये नहीं कि हमें कोई ब्लर से मतलब है। मतलब है कि जो मूल गणतंत्र की शक्ति है, उसको धूमिल करने का आप असर देख रहे हैं आज। वो असर आप हर तबके में, हर समुदाय में देख रहे हैं। ये भय आता है प्रतिशोध से, प्रतिशोध आता है सरकारी यंत्र, तंत्र, अस्त्र का दुरुपयोग करने से और यही आज का सार्वजनिक सत्य है। इस सार्वजनिक सत्य से दूर भागने की कोई आवश्यकता नहीं है। ये सत्य आपके हर वर्ग में दिखेगा और आप सब जो यहाँ बैठे हैं, वो भी जानते हैं इस सत्य को।

सोहराबुद्दीन केस से जुड़े एक जज की संदिग्ध परिस्थियों में मृत्यु के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि निश्चित रुप से ये हमने भी परसों ही देखा है और इसका अवलोकन भी हो रहा है। ये कोई अनोनिमस रिपोर्ट नहीं है, पहली बात। दूसरा ये लगभग 4-5 पन्ने की है। तीसरा, व्यक्ति विशेष ने एक-डेढ़ साल लगाया है, इसकी तहकीकात करके और उसने तथ्य दिए हैं, तारीखें दी हैं, सिक्वेंस दी है। तो अगर आप तीनों चीजों को जोड़ें तो, प्राथमिक दृष्टि से हम इसको बहुत अगर न्यूनतम शब्दों का प्रयोग करें, तो ये अत्यंत गंभीर है, गंभीर है, विकृत है और अगर आँशिक रुप से भी सच है, तो भयानक है। तो आपका जो जांच का सवाल है, वो तो बिल्कुल निश्चित रुप से सही है। यही बात सामने आई है और ये हमारे पूरे गणतंत्र और लोकतंत्र के लिए बहुत महत्व रखती है, तो इसलिए निश्चित रुप से इसको सिर्फ नकारने के लिए आवश्यक है, मैं तो कहता हूं इसको नकार दीजिए, इसको सिद्ध कर दीजिए की ये किसी रुप से सही नहीं है। क्योंकि ये लिखी किसी गैर-जिम्मेवाराना राजनीतिक आरोप की हैसियत से नहीं लिखी गई है। इसमें तथ्य हैं, बड़े sober स्टाईल से लिखी गई है। इसलिए मैं समझता हूं कि ये भयानक है कि अगर जज तक ऐसा आक्रमण जो ये आक्षेप आया है इस आर्टीकल में, तो मैं समझ सकता हूं कि हमारे पूरे ढांचे और हमारी नींव जो हैं लोकतंत्र और गणतंत्र की, उसमें बहुत ही गंभीर आघात है।

मैं आपके उस केस की मैरिटस की बात नहीं कर रहा हूं या उन केसों की मैरिट की बात नहीं कर रहा हूं, जो ये जज सुन रहे थे या नहीं सुन रहे थे। ये बड़ी महत्वपूर्ण बात है, कि जज दसों केस सुनते हैं, हमें कोई मतलब नहीं उन केस मैरिट से, लेकिन हम उस मुद्दे को endorse कर रहे हैं, हम देख रहे हैं, इसमें हिचक कहाँ हैं, ये तो परसों की बात है। पहली बार प्रैस कॉन्फ्रेस है उसके बाद तो, तो इसलिए बिल्कुल देख रहे हैं।

इसी प्रश्न पर कि व्यापम घोटाले के बाद जिस तरह से घटनाएं हुई हैं, जो मारे गए हैं उसमें संदिग्ध, कितनी प्रासंगिक घटना है इस परिपेक्ष्य में, डॉ. सिंघवी ने कहा कि मध्यप्रदेश में तो हमें 3- 4 साल लगे, बल्कि 5 साल लगे, न्यूनतम 3 साल लगे, जब तक सीबीआई जांच हुई। ये जो है, ये अभी शुरु हुई है, इसमें 3 साल नहीं लगने चाहिएं, जांच के लिए, इसमें 3 महिने नहीं लगने चाहिएं जाच में। ये गंभीर है क्योंकि आप न्यायपालिका, न्यायालय, तीसरे organ और ऐसे गंभीर मुद्दे में अगर इसमें हत्या का आरोप आंशिक रुप से भी सही है और मैं कहता हूं कि नहीं बिल्कुल झूठ है तो भी इसको व्यापक रुप से जांच करके, इसको सिद्ध करना चाहिए।

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