My Press Brief At AICC – 14 Feb 2018 (Hindi)

 

 

 

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबको महाशिवरात्री की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

मैं आपके माध्यम से कांग्रेस की तरफ से हमारी सरकार से, हमारे प्रधानमंत्री जी से और सत्तारुढ़ पार्टी से कुछ विशेष प्रभावशाली प्रश्न पूछने वाला हूं और इसके साथ-साथ अंत में एक पहेली भी बुझाने के लिए कहने वाला हूं और देखता हूं आप कितने माहिर हैं पहेली को बुझाने में। प्रश्न पहले हैं।

5 प्रश्न पहले हैं मित्रों, हमें जवाब दीजिए कि ये जो आतंकवादी हैं, उनके पास जो बारुद और शस्त्र हैं, उनके पास कहाँ से आते हैं, वो तो विदेश की धरती से आते हैं और सीमाएँ हमें जवाब दीजिये कि ये जो आतंकवादी है उनके पास जो बारूद और शस्त्र है वो कहाँ से आता है? वो तो विदेश की धरती से आता है? और सीमायें संपूर्ण रूप से आपके कब्ज़े में हैं? सीमाव सुरक्षा बल आपके कब्ज़े में है!

हम आपसे दूसरा सवाल पूछना चाहते हैं, वही दोहरा रहे हैं, जो आप पूछते थे,  आतंकवादियों के पास धन आता है, कहा से आता है, पूरा Money Transaction का कारोबार भारत सरकार के कब्ज़े में है।  RBI के अंतर्गत है, बैंको के माध्यम से होता है, क्या प्रधानमंत्री आप इतनी निगरानी नहीं रख सकते कि जो धन विदेश से आकर के आतंकवादियों के पास जाता है, आपके हाथ में है, आप उसको क्यों नहीं रोकते हैं? ये दूसरा बिंदु और प्रश्न था।

हम तीसरा सवाल उन्हीं की भाषा में पूछते हैं –  कि जो विदेशियों से जो घुसपैठी आते है, घुसपैठी आतंकवादियों के रूप में आते है, आतंकवादी घटना करते है, भाग जाते है, प्रधानमंत्री जी आप हमें बताइएँ कृपा करके, सीमायें आपके हाथ में है, Coastal Security आपके हाथ में है, BSF आपके हाथ में, सेना सब आपके हाथ में है, Navy आपके हाथ में है, ये विदेश से घुसपैठिये कैसे घुस जाते है ?

हम चौथा सवाल पूछते है आपसे, सारा Communication आपके हाथ में है, कोई भी अगर टेलीफ़ोन पर बात करता है, e-mail करता है, कोई भी communication करता है, भारत सरकार उसको interrupt कर सकती है, आप तो जानते हैं आजकल क्या हो रहा है। interrupt करके जानकारियाँ पा सकती है, कि आतंकवादी गतिविधि के अंदर कौन सा communication चल रहा है, और आप उसे रोक सकते हो! हम पूछना चाहते हैं, और आपका ही सवाल दोहरा रहें है-प्रधानमंत्री मोदी जी इस विषय में आपने क्या किया है ?

और हमारा पाँचवा सवाल है, विदेशों में जो आतंकवादी भाग चुके है, विदेश में बैठ कर के जो हिंदुस्तान की आतंकवादी घटनाएँ निर्देशित कर रहे है, उनको प्रत्यारोपण के द्वारा विदेश से हिंदुस्तान लाने का हमें अधिकार होता है, आपकी विदेश नीति में क्या इतनी भी ताकत नहीं है ?

ये पाँच प्रश्न सीधे कांग्रेस पार्टी लाज्मी रुप हम सब, आप, हम जनता जनार्दन पूछने का अधिकार रखते हैं और आपके माध्यम से पूछ रहे हैं। आजतक हमें इसका उत्तर मिला है silence द्वारा…eloquent silence, सन्नाटे वाली चुप्पी के साथ। लेकिन हमें इसके साथ-साथ पाँच प्रश्नों की पहेली बुझानी है। ये कांग्रेस पार्टी पूछ रही है बिल्कुल सही है। और कौन पूछ रहा है, जरा देखिए और कौन पूछ रहा है?

(वीडियो चलाया गया जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार भाषण देते हुए उस समय के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी से उपरोक्त पाँचों प्रश्न पूछ रहे थे)

श्री सिंघवी ने कहा कि आपने इसका अंतिम वाक्य नहीं सुना। वो था कि 56 ईंच की छाती चाहिए ये सब हासिल करने के लिए, इसी का अगर आप अंतिम वाक्य देंखें तो।

तो मैं इस सन्नाटे वाली चुप्पी जो आप सुन रहे हैं हमारे प्रश्नों की तरफ से। हमको इसका कोई उत्तर नहीं मिल रहा है। उत्तर की जगह कभी हमें जम्मू में उग्रवादी हमला मिल रहा है, सुंजवान मिल रहा है, पठानकोट मिल रहा है, ऊरी मिल रहा है। इसका उत्तर क्या है माननीय प्रधानमंत्री जी अगर नहीं जानना चाहते तो इसका उत्तर दुर्भाग्यवश ये है कि पिछले 45 महीनों में इस सरकार के 45 महीनों में 207 मुख्य आतंकवादी घटनाएँ घट चुकी हैं। जबकि यूपीए के कार्यकाल के 45 महीनों में इसी मापदंड में 96 आतंकवादी घटनाएँ घटी थीं। 207 और 96 ये उत्तर है इन पाँच प्रश्नों का। उसी 45 महीने में जितने जवान वीरगति को प्राप्त हुए जम्मू-कश्मीर की बात कर रहा हूं मैं। भाजपा शासनकाल के 45 महीनों में 286 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। हमारे कार्यकाल में 45 महीनों में 115। मैं मानता हूं कि एक भी जवान के जीवन की कीमत नहीं होती, वो बात नहीं हो रही है। आज बात हो रही है 56 ईँच छाती की, इन पाँच प्रश्नों की। सिविलियन मृत्यु, आम आदमी, जनता जनार्दन की मृत्यु है इन्हीं के 45 महीनों में 138, हमारे 45 महीनों में 72, अब सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि गाँवों में, सीमाओं में, बॉर्डर में सबसे ज्यादा आतंकवाद फैलता है। पूरे 45 महीने में प्रमुख सीजफायर उल्लंघन की घटनाएँ 2,555 घट चुकी हैं। हमारे 45 महीनों में इसका पाँचवा हिस्सा यानि 543। और वर्तमान सरकार के 45 महीनों में इन सीजफायर उल्लंघनों में 62 जवानों की मृत्यु हुई, जो हमारे वक्त 19 थी, इत्यादी-इत्यादी।

मेरे पास आंकड़ों का बौछार है। लेकिन जो प्रश्न हम पूछ रहे हैं, उसका उत्तर हमें राष्ट्रवाद के सबक के रुप में मिलता है, उसका छाती पीट-पीट के मिलता है। 56 ईंच की छाती की बात करके मिलता है, जुमलों से मिलता है। लेकिन ठोस क्या मिलता है, लेकिन जुमलों से क्या होता है?

56 ईंच वालों ने कुछ ऐसे हमको सम्मान दिए,

कागज की किश्ती सौंपी है,

अंगारों के तूफान दिए।

और बात करते हैं 56 ईंच की।

मैंने एक कोमा, फुलस्टोप नहीं बदला है। माननीय प्रधानमंत्री जो आज हैं, उस वक्त विपक्ष में थे, 2014 की बात है ये। पाँचों प्रश्नों का कोमा, फुलस्टोप नहीं बदला। आखिरी जो वाक्य था, 56 ईंच वाला वो इसी संदर्भ का वाक्य है। और वो बिल्कुल मैं उसी तरह से पूछ रहा हूं लेकिन जो आंकड़े जो हैं, वो तो विपरीत है। ये पूछना किसे चाहिए, उत्तर जिसको देना चाहिए, ये बड़ा सहज मालूम पड़ता है आंकड़ों से और मित्रों

 

क्यों सरहद पर जवान शहीद हो रहा है लगातार,

और सिर्फ झूठ और फरेब फैला रही है मोदी सरकार

 

हमारा वीर जवान हर प्रकार से, दिन प्रतिदिन आज डेढ़ वर्ष हो गए हैं। फरवरी 2016 में कम्पोज समिति, बड़े ऊंचे स्तर के अफसर हैं, लेफ्टिनेट जनरल कम्पोज, सेवानिर्वृत। वो समिति बैठाई थी, ऊरी कैसे हो सकता है, पठानकोट कैसे हो सकता है? उन्होंने रिपोर्ट दी और कहा कि ये घोर negligence है। Comprehensive ऑडिट किया और इसे किताब में कहते हैं SOP, Standard Operating Procedures भी बनाया।  मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि अब माननीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन जी ने 1500 करोड़ के फंड की अब अनुमति दी है कार्यांवित किया है, वो कम्पोज समिति की सूची द्वारा दिए गए सुझाव कितने कार्यांवित हुए हैं आपकी नाक के नीचे पिछले 45 महीनों में। क्या हर बात के लिए आप उठकर कांग्रेस पर ऊँगलियाँ उठा सकते हैं, गलतियाँ निकाल सकते हैं, खुद कुछ करने के लायक नहीं हैं आप?

ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे पर

राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिदिन हो रही है तार-तार

और हाथ पर हाथ रखकर बैठी है मोदी सरकार।

औवेसी के दिए बयान पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि अगर किसी ने मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मंच से बोल रहा हूं और ये अधिकारिक वक्तव्य है, किसी ने क्या टिप्पणी की, इससे कोई संबंध नहीं है मेरा। किसी ने भी और मुझे पूरा संज्ञान नहीं है ठीक शब्दों के बारे में। लेकिन अगर किसी ने यदि संवैधानिक ढांचों में किसी को विभाजित करने की कोशिश की है या अपशब्दों का प्रयोग किया है तो आप बड़ा स्पष्ट समझ लीजिए कि कांग्रेस उसका किसी भी रुप से, परोक्ष या सीधे रुप से समर्थन नहीं करती है। हमारी पार्टी का हो या बाहर की पार्टी का हो। जहाँ तक हमारी सेना का सवाल है तो ये सवाल ही नहीं उठता है ऐसा।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि पाकिस्तान से ना हमें कोई आशा है और ना भारत सरकार को, ना हमको किसी रुप से आशावान होना चाहिए। पाकिस्तान जैसे देश पर भरोसा करना या उनसे उम्मीद करना गलत होगा। मैं बड़ा सीधा ये कहूंगा पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कीजिए और अमेरिका पर आप एक सीमा से ज्यादा निर्भर नहीं हो सकते। मुद्दा ये है कि आपको राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपने आपको मजबूत बनाना है, आपको ऐसे घुसपैठियों, ऐसी हरकतों से एक बार समझ आता है, दो बार समझ आता है। आज हमने तीन दिन में एक हफ्ते में जो वारदातें देखी हैं, विश्वास नहीं हो रहा है और एक आक्रोश है कि हमारे वीर जवानों पर इस प्रकार से हमले हो रहे हैं। तो इसलिए ये बात सही है कि आपके डिप्लोमेटिक सूत्रों द्वारा, जितना आपने दिखाया है अपनी विदेश नीति में निकटता यूएस से, उसका पूरा प्रभाव नहीं हो रहा है शायद। लेकिन अंततोगत्व हल इस देश में राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपने मजबूत पैरों पर खड़ा होना, कम्पोज समिति को कार्यांवित करना, वो सब चीजें करना जिससे कि प्रिवेंटिव हो, हम सिर्फ आज क्यूरेटिव फॉरमेट में चल रहे हैं।

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