कांग्रेस मुख्यालय में श्री मल्लिकार्जुन खड़गे एवं श्री कुमार केतकर के साथ संवाददाता सम्मलेन में 25-10-2018

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Highlights of the Press Briefing

श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं कल महाराष्ट्र में था, जब मुझे खबर मिल रही थी टी.वी. पर और दूसरे जगह से कि सीबीआई डॉयरेक्टर को रात में एक बजे हटाया गया और उसी तरीके से जैसे जिस आदमी के ऊपर चार्जिस भी थे, स्पेशल डॉयरेक्टर, उसको छुट्टी पर जाने के लिए कहा गया। ये बड़ी घटना है, ये हम सब लोगों के लिए शर्मनाक घटना है, इसलिए मैं कह रहा हूं कि एक हाईएस्ट बॉडी, जिसमें प्रधानमंत्री खुद उसके चेयरमैन हैं और चीफ जस्टिस उसके मेंबर हैं और मैं सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के नेता के नाते उसमें सदस्य हूं। ये तीन लोग मिलकर डॉयरेक्टर का सलेक्शन करते हैं और जो भी हम कहेंगे तो उसके लिए कभी यूनेनिमसली (unanimously) होता है, कभी डायसैंटिग (dissenting) होता है, तो वो एक अंतिम निर्णय के रुप मे निकलता है। तो इन सीबीआई डॉयरेक्टर को कमेटी ने सलेक्ट किया था, लेकिन इनको इस ढंग से हटाने की कोशिश की, जिसका उनको अधिकार नहीं है। अगर वो हटाना चाहते थे या उनके ऊपर शिकायत थी, तो दो महीने, तीन महीने, चार महीने में कभी भी वो उनके पास आए थे, तो मीटिंग रखकर, बुलाकर वो कर सकते थे। लेकिन ये सब जो घटना घटी एक स्पेशल डॉयरेक्टर के ऊपर और सीवीसी को भी इतना शायद प्रेशर में लाया गया होगा क्योंकि पहली बार उन्होंने भी टी.वी. पर आकर एक्सप्लेनेशन दिया कि उनको भी अधिकार है छुट्टी पर भेजने का और सुपरवाईज करने का।

ये सच बात है कि सीवीसी को सुपरविजन करने का अधिकार है, उस केस के बारे में, जो केस उनको रेफर करते हैं। लेकिन किसको ट्रांसफर करना, किसको रखना है, ये अधिकार उनको नहीं है और ये डिपार्टमेंट जो है, ये सीधा प्रधानमंत्री देखते हैं। उनके कंट्रोल में रहने की वजह से उनका ये दायित्व बनता था कि पहले से ही इसको देखकर, कमेटी के सामने लाकर सारी चीजें बता सकते थे। इसीलिए उन्होंने ये चीज नहीं की और शायद कल सिंघवी साहब ने बताया होगा कि सेक्शन 4 (A) के तहत हमारी कमेटी कैसे कॉन्सटिट्यूट (constitute) की जाती है। फिर उसके बाद सेक्शन 4(B) में किस ढंग से उनको कितना समय होता है, कहाँ तक रख सकते हैं, ये भी उसमें लिखा है। मैं ये आपको सिर्फ 4 B (II) पढ़कर आपको सुनाऊँगा। Section 4 B (II) says ‘The Director shall not be transferred except with the previous consent of the Committee referred to in Sub Section (1) of Section 4(A) तो कम से कम एक कर्टसी और कानून में है, ये मैनडेटरी है, लेकिन उन्होंने ये काम भी नहीं किया। रातों रात या नींद नहीं आई, कुछ मालूम नहीं है, लेकिन रात में बहुत सी चीजें हो गईं, लोकपाल में मुझे मेंबर बनाईए, जैसा सीबीआई में परमानेंट मेंबर हूं, सीवीसी में परमानेंट मेंबर हूं। इनफार्मेशन कमीशन, उसमें मैं मेंबर हूं और हर सलेक्शन में लार्जेस्ट पार्टी को बुलाया जाता है, और मेंबर को। लेकिन लोकपाल एक्ट में इनक्ल्यूड़ करने के लिए हम 4 साल से कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कभी इसके बारे में सोचा नहीं। और उसमें तीन शब्द जोड़ने हैं, उसमे लिखा हुआ है कि लीडर ऑफ दी अपोजिशन पार्टी। मगर आप ये कर सकते थे कि लीडर ऑफ दी अपोजिशन पार्टी और सिंगल लार्जेस्ट पार्टी, तीन शब्द, तीन शब्द जोडने के लिए 4 साल 6 महीने लिए। इनको रात में नींद आ रही थी, इसके लिए ये इतने घोटाले हो गए हैं, तो शायद उनको ख्वाब में ये भी आ रहा था, राफेल घोटाला और दूसरे जो घोटाले बाहर आ रहे हैं। उनके साथी जो बैंक के लोन लेकर बाहर भाग रहे हैं।

तो उसके बारे में शायद उन्होंने सोचा होगा कि सीबीआई के डॉयरेक्टर से मिलने जब एक डेलिगेशन गया था जिसमें एनजीओ या अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और प्रशांत भूषण जी गए थे, वो उनसे मिले, मिलकर उन्होंने अपना मेमोरेंडम दिया, तब नेचुरली, जब आप सीबीआई डॉयरेक्टर के पास जाते हो, तो स्वाभाविक है कि वे कहेंगे कि हम मंगा लेगें, देख लेंगे, कर लेंगे। जब वे उन कागजात को जमाने की कोशिश या जानकारी लेने की कोशिश कर रहे थे, ऐसा मैंने सुना, क्योंकि जब ये चीज फैल गई तो उनको इतना गुस्सा आया कि मुझसे बिना पूछे मेमोरेंडम जारी किया जा रहा है, मुझसे बिना पूछे उनसे मिल रहा है, एपोंयटमेंट दे रहा है। क्योंकि उनको एक आदत है कि उनको बगैर पूछे कोई काम नहीं होना है। सबकुछ उनकी तरफ से हो, वो सीबीआई को भी देखते हैं, इंकम टैक्स भी देखते हैं, ईडी भी देखते हैं, हर चीज में उनका इंटरफेयरेंस है और हर ऑटोनोमस इंस्टिट्यूटशन में वो इंटरफेयर करते हैं। इसलिए मैंने उनको तीन पेज की चिठ्ठी लिखी है, मैंने उनको भेजी है। उसकी कॉपी भी मैं आपको दूंगा।

Shri Kharge showed the copy of the letter written by him to the Prime Minister.

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आपके साथ कल वार्तालाप हुई थी, मैंने 6 बिंदु उठाए थे, उसमें से मुख्य दो बिंदु, खड़गे साहब जी ने जो पत्र लिखा है, उसमें हैं, आपको इसकी प्रतिलिपि मिलेगी। वो मुख्य दो बिंदु हैं, एक तो जो संशोधन हुआ उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद, आपको मैंने कल दिखाया था, 1998 का न्यायालय का निर्देश। उसके आधार पर जो 2014 में सीबीआई एक्ट में संशोधन हुआ, उसको कोट करते हुए खड़गे साहब ने कहा है कि उसके अंतर्गत आप ये तीन बिंदुओं को नहीं बदल सकते हैं। स्थानांतरण नहीं कर सकते, दो वर्ष बाद फिक्स टेन्योर होना आवश्यक है और सलेक्शन समिति के बिना उनको आप टच नहीं कर सकते। साथ में दूसरा बिंदु जो उन्होंने विस्तार से लिखा है कि झूठी बराबरी करने का जो ये प्रयत्न आ रहा है कि एक स्पेशल डॉयरेक्टर, जिसकी कोई बराबरी नहीं है डॉयरेक्टर से क्योंकि वो स्पेशल डॉयरेक्टर के लिए कोई विशेष प्रावधान है ही नहीं कानून में। वो कार्यपालिका की नियुक्ति होती है, वो विशेष सीबीआई एक्ट के अंतर्गत प्रोटेक्टेड टेन्योर, सुरक्षित कार्यकाल के अंतर्गत वहाँ बैठने का उसका कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह सीबीआई डॉयरेक्टर का है। उन दोनों के बीच में सरकार कल से जो आपको ज्ञान दे रही है कि बराबरी है। इसको हमनें कल कहा था Fraud equivalence या False equivalence और ये इसलिए किया जा रहा है, जिससे एक बहाना मिल जाए कि दोनों को घर पर बैठा दो, लेकिन एक व्यक्ति तो विशिष्ठ टेन्योर का है, जिसको आप घर पर नहीं बैठा सकते हैं।

 

इसके अलावा जो मैंने तीन बिंदु संक्षिप्त में कल आपके सामने रखे थे, वो ये था कि ये विचित्र चीज है कि प्रॉसिक्यूटर को आप निशक्त कर रहे हैं, उनके विरुद्ध काम कर रही है ये सरकार और जो अभियुक्त है, उसका समर्थन कर रही है। और एक बात जो कही थी आपके सामने कि जो पूरा मन्तव्य है, उद्देश्य है उच्चतम न्यायालय का, कानून का उसको नलीफाई (nullify) किया गया।

खैर ये सब बातें थी कल की। आज हम आपके समक्ष बड़ा स्पष्ट ये कहना चाहते हैं, जो हमने राफेलोमीनिया की बात की थी, हमें लगता है कि वो आतंक, वो भय, वो घबराहट, वो बौखलाहट इतनी बढ़ गई है कि अब मोदी जी की सरकार एक ऐसी अजीबो गरीब चीज कर रही है। जासूसी कर रही है अपनी ही सीबीआई के ऊपर, सीबीआई के डॉयरेक्टर के ऊपर। और सरकार के यंत्र, तंत्र का दुरुपयोग करके अपनी ही संस्थाओं पर जासूसी करने की विचित्रता हमने देखी है। आज आपके मीडिया में सब चीजें दिखाई गई है। बहाने बाजी चल रही है, हमारे पास उन व्यक्तियों के पैन कार्ड, उनके नाम, उनके कई सारे डिटेलस हैं और आपको दिखा भी सकते हैं। बरगलाने का प्रयत्न हो रहा है कि ये वो नहीं थे, ये थे, वो थे। अब ये क्या है, ये बौखलाहट है, घबराहट है, छटपटा रहे हैं, जैसा खड़गे जी ने कहा, रात भर नींद नहीं आई और तुरंत सुबह स्नूप गेट शुरु कर दिया है और स्वायत्तता जाए चूल्हे में, लेकिन राजनैतिक रोटियाँ पकाना आवश्यक है। सीबीआई को, सीवीसी, सबको गिराना आवश्यक है। लेकिन मेरा एक राजनैतिक उद्देश्य पूरा होना चाहिए।

जो दूसरी चीज मैं आपके समक्ष रखना चाहता हूं कि रात में ये सब किया गया, चिराग लेकर आपने ढूंढा तो आपने क्या वही अंतरिम डॉयरेक्टर मिले, जिनकी नियुक्ति हुई है, श्री राव, जिनके विरुद्ध सार्वजनिक रुप से सबके सामने तथ्य हैं। क्या सरकार वो नहीं जानती कि ये अफसर एक कलाउड में हैं, संदिग्ध हैं, इनके विरुद्ध काफी गंभीर आरोप पहले से हैं और इसके साथ जुड़ा हुआ दूसरा बिंदु हैं कि आपने इनको नियुक्त किया है, जब इनसे ज्यादा विरिष्ठ एडिशनल डॉयरेक्टर अवेलेबल हैं। इन व्यक्ति का रेंक ज्वाइंट डॉयरेक्टर का है। तो क्या आपने फिर वही राजनीति खेली है, वही अपने गलत कारनामे करवाने के लिए नियुक्तियाँ की हैं, वही एक फौजदारी तफ्तीश में गलत रुप से हस्तक्षेप करने की प्रक्रिया। अभियुक्त, जो स्पेशल डॉयरेक्टर थे, उनका समर्थन करना और अब लगभग एक तिहाई सीबीआई और सब वही ऑफिसर हैं जो उनकी तफ्तीश कर रहे थे, स्पेशल डॉयरेक्टर की, उनका स्थानांतरण कर देना और अब ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करना, जो आप जानते हैं कि संदिग्ध हैं।

इन सबके कुछ तथ्य आपके समक्ष रखे गए थे। कल डीएमके के नेता श्री स्टालिन ने आपके समक्ष उल्लेख किया था कि श्री राव जब चेन्नई जोन के इंचार्ज थे, तो कितना गंभीर उनके विरुद्ध आरोप था, वीजीएन डेवलपर्स का जो पूरा कांड या जो पूरा मुद्दा था, उसमें कोई एक्शन नहीं लेना, जबकि करोडों का नुक्सान हुआ था एक्सचेकर(exchequer) को। इसके तथ्य आपके सामने रखे थे, ये वही राव साहब हैं, जिन्होंने सेक्रेटेरियट में जाकर डिप्टी सीएम, तमिलनाडु से मुलाकात की। उसी वक्त जब गुटका स्कैम और कई ऐसे प्रदेश सरकार के स्कैम की सीबीआई, जोनल ऑफिस चेन्नई इन्वेस्टिगेट, तहकीकात कर रहा था। ये वही अंतरिम डॉयरेक्टर नियुक्त हुए हैं, जिनके विरुद्ध लगभग 3 करोड़ के घोटाले का आरोप है, यूनिफोर्म की परचेज में, जब वो ओडिशा में सर्व कर रहे थे। अंत में ये वही व्यक्ति हैं जिनके विषय में जो सीबीआई की कांउटर इंटैलिजैंस यूनिट के हेड थे, श्री ढिल्लों, उन्होंने 2015 में लिखित में दिया था कि ये संदिग्ध व्यक्ति हैं, इनको यहाँ सीबीआई में नहीं होना चाहिए। तो और वरिष्ठ ऑफिसरों को सुपरसीड करते हुए, उन सब 10-12 अफसरों को स्थानांतरण करते हुए, एक सुरक्षित टैनोयर वाले डॉयरेक्टर को गैर कानूनी तरीके से घर बैठाते हुए आपने एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की है जो खुद बहुत संदिग्ध है और आज आप जासूसी करते हुए पाए गए हैं।

On the reaction of the Congress Party on snooping by IB, Shri Kharge said – हमने हर पेनल में ऑब्जेक्ट किया, जो हमारे सामने आता है, हर व्यक्ति के बारे में कहते हैं और इनके बारे में हमने नहीं किया, हमने ये कहा कि जिस व्यक्ति को जो सीबीआई में सीनियर था, कम से कम 208 महीने काम किया था, जो स्पेशल डॉयरेक्टर के नाते सबसे ज्यादा एक्सपिरियंसड था, वही कहा था। इसलिए नेचुरल च्वाइस उसकी होनी चाहिए थी और आपने पेनल में जो दूसरे नाम दिए हैं, वो च्वाइस की बजाए आप श्री दत्ता को जो ऑवर लुक किया गया, उनके बारे में हमनें लिखा था और चिठ्ठी भी यही है और नोट भी यही है। मैं आपको उतना पोर्शन पढ़कर सुनाऊँगा।

एक प्रश्न पर कि क्या आप इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे, श्री खड़गे ने कहा कि इसमें चीफ जस्टिस हैं, प्रधानमंत्री हैं। अब चिठ्ठी तो हमने लिखी है, उसका जवाब क्या आएगा, हम देखेंगे। अगर जवाब संतुष्टी वाला है तो एक बात है, अगर नहीं है तो हम लीगल एक्सपर्ट से कनसर्न करेंगे, उनकी सलाह लेकर आगे बढ़ेंगे।

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

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